सिंधिया की सही च्वाइस मनपसंद बंगले की रखते हैं ख्वाहिश

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, सभी जानते हैं कि रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की बुनियादी जरूरतें हैं लेकिन हैरत तब होती है जब महलों में रहनेवाले भी किसी सरकारी बंगले के लिए दावा करते हैं. नागरी उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में 27, सफदरजंग रोड स्थित बंगला पाने के लिए अपना हक जता रहे हैं लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश निशंक यह बंगला खाली करना नहीं चाहते. इसे लेकर दोनों के बीच खींचतान शुरू हो गई है. निशंक ने बंगला खाली करने से साफ इनकार कर दिया है. उन्हें मंत्री के तौर पर यह एलाट हुआ था जबकि अब वह मंत्री नहीं रह गए.

    नियम के मुताबिक उन्हें एक महीने में बंगला खाली करना चाहिए था लेकिन वे टस से मस नहीं हो रहे हैं. कहते हैं उन्हें वहीं बने रहने की डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स से परमिशन मिल गई है.’’ हमने कहा, ‘‘सवाल अधिकार का है. सिंधिया वर्तमान मंत्री हैं और निशंक भूतपूर्व, इसलिए वर्तमान को तरजीह देनी चाहिए. ज्योतिरादित्य को इस बंगले से खास लगाव है क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव हारने तक वे इसी बंगले में रहते थे. कुछ दशक पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया भी वहां रहा करते थे.’’ पड़ोसी ने कहा,‘‘निशानेबाज, यह सरकारी बंगला है, कोई खानदानी राजमहल नहीं! निशंक पूरी तरह शंकारहित होकर इस बंगले में टिके हुए हैं. कब्जे का बड़ा महत्व है. मकान मालिक तो पुराने किराएदार से घर भी खाली नहीं करा पाते.

    कहते हैं कब्जा सच्चा और दावा झूठा! सिंधिया अभी दिल्ली के आनंदलोक में स्थित अपने निजी निवास में आनंदपूर्वक रह रहे हैं, फिर बंगले के लिए इतनी हाय-हाय क्यों होनी चाहिए?’’ हमने कहा, ‘‘बंगला उच्च आकांक्षा का प्रतीक होता है. बंगले को लेकर कुंदनलाल सहगल ने गाया था- इक बंगला बने न्यारा. एक अन्य गीत है- दरिया किनारे एक बंगलो ग, पोरी जई जो जई. बंगले में लॉन, पोर्च, पोर्टिको, ड्राइंग रूम, लिविंग रूम, किचन, स्टोर रूम, गेस्ट रूम वगैरह होते हैं. बंगला बहुमंजिला होता है. जो बात बंगले में है वो किसी अपार्टमेंट में कहां! इसलिए सिंधिया की सही है च्वाइस. मनपसंद बंगला मिल जाए, यही है उनकी ख्वाहिश!’’