केजरीवाल की लिखित में ललकार, गुजरात में बनेगी ‘आप’ सरकार

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, यह मत समझिएगा कि नेता सिर्फ हवा-हवाई बातें करते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिखित रूप से दावा किया कि गुजरात में ‘आप’ सरकार बनाने जा रही है. इस पर आपकी क्या राय है?  हमने कहा, ‘किसी के लिखने पर मत जाइए. संत कबीरदास ने कहा था- तू कहता कागज की लेखी, मैं कहता आंखियां की देखी! इसलिए प्रत्यक्षदर्शी बनकर आंखों से जो दिखाई दे, उसे स्वीकार कीजिए.’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘निजानेबाज, लिखा-पढ़ी करने से सबकुछ प्रामाणिक हो जाता है. लोग स्टैम्प पेपर पर प्रामेसरी नोट लिखते हैं. कोई भी सौदा, लेनदेन या ट्रांजेक्शन सभी पक्का माना जाता है जब उसमें दोनों पक्षों और गवाहों के दस्ताखत हों. जिसे लिखने का छंद लग जाए, वह लेखक कहता है. कविता, कहानी, लेख, संस्करण, जीवनी, आत्मकथा, नाटक, उपन्यास, खंडकाव्य, महाकाव्य सभी में लेखक के विचार, भावनाएं व अनुभूतियां व्यक्त होती हैं. केजरीवाल ने गुजरात में गवर्नमेंट बनाने का दावा लिखित रूप में किया तो जरूर उन्हें किसी अदृश्य शक्ति ने ऐसा लिखने के लिये प्रेरित किया होगा. उनके आत्मविश्वास की दाद दीजिए.’ 

    हमने कहा, ‘हर पंक्ति लिखे जाने पर वेद की ऋषा नहीं बन जाती. हर लेखक कालिदास या शेक्सपीयर नहीं बन जाता. प्रत्येक भविष्यवाणी सच साबित नहीं होती. लोगों ने लिखित गांरटी को भी बोगस होते देखा है. प्रेमपत्र लिखने वाला हर शख्स भरोसेमंद नहीं रहता. हकीकत की धरती पर कल्पनाओं के फूल नहीं खिला करते. मोदी मन की बात कहते हैं, से लिखकर पोथी नहीं बनाते. केजरीवाल ने भविष्यवाणी लिखी लेकन कर्म का लिखा कभी मिट नहीं सकता. जनादेश ही तय करेगा कि कौन कितने पानी में है. मतदान से पहले ही कोई नतीजे की बात करे तो उसे हवाई किले बनाना कहेंगे.’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज भविष्य पुराण और भृगु संहिता में ऐसी बातें लिखी हैं जो आगे चलकर होनेवाली है. जार्ज ऑरवेल नामक लेखक ने ‘1984’ नामक उपन्यास 1948 में ही लिख डाला था. उनकी कितनी ही कल्पनाएं सच साबित हुई. ऐसा मानकर चलिए कि केजरीवाल की भविष्यवाणी भी कसौटी पर है. कभी तीर नहीं तो तुक्का लग ही जाता है.’