अब नहीं चल सकती मौज-मस्ती वर्षों बाद देखी गई लालू पर सख्ती

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) चारा घोटाले (Fodder scam) के आरोप में कारावास की सजा होने के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) रांची की दुमका जेल में कम और बीमारी के नाम पर रिम्स अस्पताल के डायरेक्टर के बंगले में ज्यादा रहे. कारावास के कष्ट की बजाय उन्हें भरपूर आराम मिला. उनसे मिलने वाले आते रहे और वे दरबार सजाते रहे. लालू की दबंगियत उन्हें रियायत दिलाती रही.

यद्यपि भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजे जाने की वजह से वे चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिए जा चुके हैं फिर भी लोग उनसे मार्गदर्शन-पथप्रदर्शन की उम्मीद को लेकर मिलने आते हैं. आपको याद होगा कि कैद होने के बावजूद लालू ने एक बीजेपी विधायक को फोन कर स्पीकर के चुनाव में गैरहाजिर रहने को कहा था. यह भी एक मुद्दा बना था कि हिरासत में रहते हुए भी लालू फोन कैसे कर सकते हैं? वैसे भी लालू अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति कर ही रहे हैं!’’ हमने कहा, ‘‘अब लालू यादव की ऐसी मौज-मस्ती चल नहीं सकती क्योंकि अब पुलिस ने अपना पावर दिखाना शुरू कर दिया है. जब हाथ में कानून का डंडा है तो पुलिस कुछ भी कर सकती है. झारखंड सरकार के 2 मंत्रियों बादल पत्रलेख और सत्यानंद भोक्ता को उन्हीं के राज्य की पुलिस ने लालू से मिलने से रोक दिया.

इस पर मंत्री बहुत झल्लाए और तिलमिलाए. बादल पत्रलेख ने कहा कि मैं मिलने जरूर जाऊंगा, फिर चाहे जबरदस्ती क्यों न जाना पड़े. इतने पर भी पुलिस रास्ता रोके रही. दोनों मंत्रियों को अपने साथी विधायकों के साथ उल्टे पैर वापस लौटना पड़ा.’’ पड़ोसी ने कहा ‘‘निशानेबाज, इसका मतलब यह हुआ कि मंत्रियों को भी पुलिस कुछ नहीं समझती. क्या रांची पुलिस इतनी पावरफुल है?’’ हमने कहा, ‘‘पुलिस ने निर्भीकता से कर्तव्यपालन किया जो मंत्रियों को लालू के पेइंग वार्ड के सामने ही रोक लिया. नियमानुसार लालू से सिर्फ 3 लोग मिल सकते हैं. लालू के पुत्र तेजस्वी यादव अन्य 2 लोगों के साथ अंदर चले गए थे. इनके पीछे दोनों मंत्री भी भीतर जाना चाहते थे लेकिन पुलिस के थानेदार ने दोनों मंत्रियों को नियम का हवाला देकर रोक दिया. इससे मालूम पड़ता है कि कोई मंत्री कितना ही तोपचंद हो, नियम के मुताबिक चलने वाली पुलिस के सामने उसकी एक नहीं चलती.’’ हमने कहा, ‘‘इसमें क्या शक है! चौराहे पर खड़ा पुलिस कांस्टेबल भी वहां की कानूनी अथारिटी रहता है. नियम पालन कराने की पूरी जिम्मेदारी उसी की रहती है. उससे भूलकर भी हुज्जत नहीं करनी चाहिए.’’