अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा, महाराष्ट्र में तरस रही कांग्रेस

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए तरस रही है. उसकी यह हालत देखकर हमें गीत याद आता है- पी के दरश को तरस गई अंखियां!’’ हमने कहा, ‘‘अपनी पूर्व प्रतिष्ठा और दबदबा कौन हासिल करना नहीं चाहता? कांग्रेस की यही इच्छा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने यह कहकर व्यक्त की कि कांग्रेस स्थानीय चुनाव के अलावा आगामी विधानसभा चुनाव अपने बलबूते पर अकेले लड़ेगी. कांग्रेस ने अपना फैसला कर लिया है और हम उस दिशा में आगे बढ़ गए हैं. महाविकास आघाड़ी में शामिल दल क्या सोचते हैं, वह उनका काम है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आपको मालूम होना चाहिए कि नाना पटोले के बोलबचन से कांग्रेस के ही मंत्री सहमत नहीं हैं. उन्हें लगता है कि अभी से इतनी ठसन दिखाना ठीक नहीं है. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव एचके पाटिल के साथ हुई बैठक में मंत्रियों ने सहमति जताई कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार को समर्थन जारी रखना चाहिए. अकेले चुनाव लड़ने का शगूफा छोड़कर सरकार को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं है.’’ हमने कहा, ‘‘सच तो यह है कि कांग्रेस को व्यावहारिकता दिखानी होगी. उसका कोई संगी-साथी नहीं है. विधानसभा में सदस्य संख्या के लिहाज से कांग्रेस चौथे स्थान पर है. जबतक सरकार कांग्रेस के हितों के साथ काम करती है तब तक उसको समर्थन जारी रखना चाहिए.

    अभी विधानसभा चुनाव में 3 वर्षों का समय बाकी है तब कांग्रेस परिस्थितियों के हिसाब से फैसला ले सकती है कि उसे आघाड़ी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना है या अपने दम पर मैदान में उतरना है. अभी से ज्यादा फडफड़ाने से कोई लाभ नहीं है. वास्तव में सरकार में शामिल होने की वजह से ही राज्य में कांग्रेस टूटने से बच गई. यदि बीजेपी सत्ता में आती तो कांग्रेस को फोड़ लेती.’’