आजादी के 75 वर्ष का नेशन, फिर भी यहां चाहिए रिजर्वेशन

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कुछ लोग बड़े रिजर्व नेचर के होते हैं. वे किसी से घुलते-मिलते नहीं. अपनी अकड़ में रहते हैं. अपनी हाईब्रो मेंटलिटी या उच्चभ्रू मानसिकता की वजह से अपने को तोपचंद समझते हैं.’’ हमने कहा, ‘‘आप रिजर्व स्वभाव रखनेवाले लोगों की बजाय रिजर्वेशन की बात कीजिए. बताइए आप रिजर्वेशन के पक्ष में हैं या विरोध में? क्या आप मानते हैं कि रिजर्वेशन अमर है जो कभी समाप्त नहीं होगा? कोई पार्टी सिर्फ इतना कह दे कि वह रिजर्वेशन की समीक्षा करेगी तो उसके वोट खतरे में पड़ जाते हैं. हमारे इस नेशन में रिजर्वेशन का विशिष्ट स्थान है. जो लंगड़े नहीं हैं वे भी रिजर्वेशन की बैसाखी का सहारा लेना चाहते हैं.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम तो यह मानते हैं कि रिजर्वेशन अत्यंत आवश्यक है. आराम से प्रवास करना है तो बस या ट्रेन में रिजर्वेशन कराइए. मूवी देखनी है तो टिकट रिजर्व करा लीजिए. स्कूल-कालेज की सीट या अस्पताल के बेड़ के लिए रिजर्वेशन और रजिस्ट्रेशन आवश्यक होता है. कहीं सेमिनार या संगीत समारोह हो तो भी सीट का रिजर्वेशन कराना जरूरी हो जाता है. शादी करनी है तो काफी पहले मैरिज हाल या लॉन का रिजर्वेशन करा लेना पड़ता है.’’

    हमने कहा, ‘‘रिजर्वेशन अमेरिका में भी है लेकिन वहां उसका दूसरा अर्थ है. वहां फीनिक्स एरिजोना के पास अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन्स के बसने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. जिसे रिजर्वेशन कहते हैं. जिनकी आबादी काफी कम रह जाए, उनके लिए अमेरिका में ऐसा रिजर्वेशन बनाया जाता है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘अमेरिका नहीं, बल्कि भारत की बात की बात कीजिए. यहां एससी, एसटी, ओबीसी के बाद अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी रिजर्वेशन देने पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है. इसके बाद मराठा आरक्षण, धनगर आरक्षण, जाट आरक्षण, गुर्जर आरक्षण, वगैरह की मांग भी उठेगी. गरीब मुस्लिम भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण में अपनी हिस्सेदारी मांगेंगे. कुछ लोग पीढि़यों से आरक्षण का लाभ उठाकर अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति काफी ऊंची कर चुके हैं फिर भी आरक्षण छोड़ना नहीं चाहते. लोकमान्य तिलक ने कहा था कि स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है लेकिन आज के जमाने में रिजर्वेशन को जन्मसिद्ध अधिकार माना जाता है.’’