सुपरकॉप रिबैरो का कहना जांच के लिए मेरे भरोसे मत रहना

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) सुपरकॉप कहलानेवाले पूर्व आईपीएस अधिकारी जूलियो रिबैरो ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) द्वारा निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे को हर माह 100 करोड़ रुपए की वसूली करने को कहे जाने के मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमवीर सिंह (Param Bir Singh) के दावों की उनसे जांच कराए जाने संबंधी  राकां प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के सुझाव को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया. रिबैरो ने साफ शब्दों में कहा कि मैं उपलब्ध नहीं हूं. राज्य सरकार में से किसी ने भी मुझसे संपर्क नहीं किया.

    वैसे भी अगर वे मुझसे संपर्क करते तो मैं उपलब्ध नहीं हूं. हमने कहा, ‘‘रिबैरो को किसी से बैर मोल नहीं लेना है. वे बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनना नहीं चाहते. उन्हें व्यर्थ की पंचायत नहीं करनी है. जो व्यक्ति मुंबई के पुलिस आयुक्त रहने के बाद गुजरात व पंजाब में पुलिस प्रमुख और रोमानिया में भारत के राजदूत रहे हों वे 92 वर्ष की उम्र में इस व्यर्थ की झंझट में क्यों पड़ेंगे? परमवीरसिंह का दावा सच्चा है या झूठा, इससे रिबैरो को क्या लेना-देना.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बड़े-बुजुर्गों को घर के झगड़े सुलझाने चाहिए. महाभारत में भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य दोनों ही बुजुर्ग द्रौपदी के चीरहरण के समय चुप बैठे रहे तो कितना नुकसान हुआ.

    इस समय भी महाराष्ट्र की राजनीति में चीरहरण करने विकट प्रसंग है. रिबैरो जैसे सम्मानित बुजुर्ग को तटस्थ नहीं रहना चाहिए. महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार ने कहा है कि वे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को सलाह देंगे कि वे परमवीरसिंह के दावों की जांच कराने में रिबैरो की मदद लें.’’ हमने कहा, किसी भी समझदार व्यक्ति को दूसरे के  फ्रंटे में टांग नहीं अड़ाना चाहिए. रौबदार व्यक्तित्व के रिबैरो सेवानिवृत्त होकर शाति से जीवन बिता रहे हैं. वे क्यों बेकार के पचड़े में पड़ें! जहां तक पुलिस विभाग में व्याप्त समस्याओं के मुताबिक कार्य करना चाहिए. नेताओं और पुलिस की सांठ-गांठ की गांठ रीबैरो नहीं खोलना चाहते.