nishanebaaz-40 rupees a liter petrol, BJP leader Swami reveals his government

‘‘सुब्रमण्यम स्वामी ने ऐसा क्या कह दिया? वे किस बात पर अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं? क्या कोई जनहित का मामला है?’’

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी अपनी ही सरकार को देशवासियों का शोषण करने वाली बता रहे हैं. बीजेपी के तमाम नेता-कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की तारीफ करते नहीं थकते लेकिन स्वामी उन लोगों में से नहीं हैं. वे जो भी कहना है, साफ-साफ और डंके की चोट पर कहते हैं. फिर किसी को भला लगे या बुरा!’’ हमने कहा, ‘‘सुब्रमण्यम स्वामी ने ऐसा क्या कह दिया? वे किस बात पर अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं? क्या कोई जनहित का मामला है?’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, देश में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. कई शहरों में पेट्रोल 90 रुपए लीटर की दर से बिक रहा है. इसे लेकर स्वामी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि तेल शुद्धि संयंत्र या रिफायनरी में पेट्रोल के दाम 30 रुपए प्रति लीटर होते हैं. इसके बाद सभी तरह के टैक्स और पेट्रोल पंप संचालकों का कमीशन मिलाकर इसमें 60 रुपए तक की बढ़ोतरी कर दी जाती है. इसलिए पेट्रोल को अधिकतम 40 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जाना चाहिए.’’

हमने कहा, ‘‘सुब्रमण्यम स्वामी अर्थशास्त्री हैं. उन्हें बताने की जरूरत नहीं कि मांग और पूर्ति के आधार पर कीमतें तय होती हैं. पेट्रोल-डीजल की मांग जबरदस्त है. यदि पेट्रोल 100 रुपया लीटर भी हो जाए, तो भी लोग खरीदेंगे. कार वाला कभी टू व्हीलर नहीं चलाएगा और टू व्हीलर वाला साइकिल को नहीं अपनाएगा. जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आइल के भाव सबसे नीचे चले गए थे तब भी भारत की तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं किए और भरपूर मुनाफा कमाया था. सरकार भी टैक्स बढ़ाने में कसर बाकी नहीं रखती. वह जनता को गरीब की गाय समझती है. केंद्र व राज्य सरकार की एक्साइज ड्यूटी और सेल्स टैक्स के अलावा स्थानीय कर भी इसमें जुड़ते हैं इसलिए पेट्रोल-डीजल महंगा है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सुब्रमण्यम स्वामी समय-समय पर अपनी ही सरकार की खिंचाई करते हैं लेकिन उन पर अनुशासन की कार्रवाई कभी नहीं की जाती? ऐसा क्यों?’’ हमने कहा, ‘‘डा. स्वामी को नाराजगी रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें वित्त मंत्री क्यों नहीं बनाया? पहले अरुण जेटली और बाद में निर्मला सीतारमण को यह पद दिया लेकिन उन्हें नहीं पूछा. मोदी जानते हैं कि स्वामी दुधारी तलवार हैं और उनके लिए कोई-न-कोई परेशानी खड़ी कर सकते हैं, इसलिए वे उन्हें ज्यादा भाव नहीं देते.

स्वामी 1975 की इमरजेंसी के समय से चर्चा में रहे हैं जब वे संसद में दिखाई देने के बाद गायब हो गए थे और इंदिरा सरकार उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई थी. उन्हें बीजेपी सांसद इसलिए बनाया गया ताकि वे नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी की नाक में दम कर सकें लेकिन वे पेट्रोल-डीजल दाम को लेकर अपनी ही सरकार को मुनाफाखोर बताने लगे.’’