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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, एयर इंडिया का चिरपरिचत ‘महाराजा’ लोगो अब अलविदा होने जा रहा है. हर किसी के दिमाग में पीढ़ियों से यह प्रतीक चिन्ह था जिसमें बंद गले का लाल कोट और पगड़ी पहने, बड़ी मूंछों वाला महाराजा अदब के साथ झुककर यात्रियों का स्वागत करता नजर आता है. भारत की आजादी के पूर्व एयर इंडिया के कमर्शियल डायरेक्टर रहे बॉबी कूका ने इसे डिजाइन किया था.’’

    हमने कहा, ‘‘भारत की आजादी के बाद राजा-महाराजाओं का कोई महत्व ही नहीं रह गया. लोकतंत्र में महाराजा प्रतीक चिन्ह क्यों होना चाहिए? इसे तो पहले टाटा-बाय-बाय कर देना चाहिए था. इस लोगो से विदेशियों को भ्रम होता है कि भारत आज भी राजा-महाराजाओं का देश है. एयर इंडिया क्यों इसे 76 वर्षों से कायम रखे हुए है?’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कुछ भी हो, पुरानी चीजों से कुछ न कुछ मोह बना ही रहता है. भारत सरकार पुराने राजा-महाराजाओं को प्रिवीपर्स के रूप में हर साल मोटी रकम दिया करती थी. बताइए, एयर इंडिया के महाराजा को क्या दिया जाएगा?’’

    हमने कहा, ‘‘प्रिवीपर्स तो इंदिरा गांधी ने कब का बंद करवा दिया था. एयर इंडिया भी महाराजा से कह देगी कि इतने साल से खिदमत करते हुए थक गए होगे, जाकर आराम करो. अब हम नया प्रतीक चिन्ह ले लेंगे. आप तो जानते हैं कि समय बदलता है, दिन-रात बदलते हैं, ऋतुएं बदलती हैं, मौसम बदलता है तो एयर इंडिया का प्रतीक चिन्ह भी बदल देना चाहिए. महाराजा कब तक झुके-झुके कमर टेढ़ी करता रहेगा.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराजा के प्रति कुछ तो प्रेम दर्शाइए, देखिए, देश के नागरी उड्डयन मंत्री भी तो ग्वालियर राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं उनमें भी महाराजाओं का खून है.’’

    हमने कहा, ‘‘लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है. इसलिए महाराजा का प्रतीक चिन्ह हटाने के बाद ऐसा लोगो बनना चाहिए जो समय के अनुकूल हो. आज महाराजा नहीं मतदाता का जमाना है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, एयर इंडिया का नया प्रतीक चिन्ह बनाने का काम लंदन की कंसल्टेंसी कंपनी ‘फ्यूचर ब्रांड्स’ को सौपा गया है. इसलिए शीघ्र ही महाराजा का उत्तराधिकारी मिल जाएगा.’’