nishanebaaz-Allahabad-High-Court-Paytm-QR-code-stuck-in-waist-High-Court-employee-suspended

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, रिश्वत भी अब डिजिटल पेमेंट से ली जाने लगी है. नोटों का बंडल लेते हुए रंगेहाथ पकड़े जाने का खतरा रहता है लेकिन क्यू आर कोड से ली जानेवाली घूस की रकम सीधे एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर हो जाती है. रिश्वतखोर के लिए यह डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर या डीबीटी होता है.’’

    हमने कहा, ‘‘रिश्वत लेने का यह मॉडीफाइड तरीका कहां अपनाया जा रहा है? कौन है यह आधुनिक तकनीक से रकम लेनेवाला घूसखोर? क्या किसी सरकारी दफ्तर में यह हथकंडा आजमाया जा रहा है?’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, किसी सरकारी ऑफिस में नहीं, बल्कि न्याय मंदिर में यह गोरखधंधा चल रहा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजेंद्र नामक सफाई कर्मी अपनी कमर पट्टे में पेटीएम का क्यू आर कोड लगाए हुए था. कुछ वकील उसके बार कोड को स्कैन कर घूस देते भी दिख रहे थे. यह तस्वीर वायरल होने और हाईकोर्ट परिसर के अंदर बख्शीश के नाम पर रिश्वतखोरी के इस नए तरीके को लेकर ढेर सारे सवाल खड़े हो गए.’’

    हमने कहा, ‘‘वह सफाई कर्मी जरूर किसी का दलाल या एजेंट होगा. वह कहीं रकम पहुंचाने के लिए इस तरीके से रिश्वत वसूल करता होगा. पता लगाना होगा कि वह किसके लिए रकम लेता था. यदि कोई वकील उसका बार कोड स्कैन कर रिश्वत दे रहा है तो इसका उद्देश्य अपने पक्ष में फैसला करवाना, पेशी की कोई अनुकूल तारीख अथवा स्टे लेना, मामले को एडजोर्न करना रहा होगा.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘कुछ लोग तो यही समझते होंगे कि वकील उस सफाई कर्मी को गरीब मानकर बख्शीश दे रहे होंगे जबकि 10-20 रुपए की बख्शीश नकद रूप में दी जाती है, उसके लिए पेटीएम से पेमेंट अवास्तविक लगता है. चीफ जस्टिस ने सफाई जमादार को निलंबित कर दिया और मामले की जांच शुरू करवा दी है. खास बात है कि रिश्वत लेने में भी टेक्नॉलाजी आ गई है. हाथ में पैसा मत दो. मोबाइल निकालो और अमाउंट डालकर क्यू आर कोड पर स्कैन कर दो. पैसा आननफानन पहुंच जाता है.’’