nishanebaaz-BJP-did-not-like-Kamal-Nath-with-Hanuman

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, भक्ति में बहुत शक्ति होती है. कांग्रेस नेता भी अपना सेक्युलर चोला छोड़कर हनुमान भक्ति पर उतर आए हैं. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, उनके बेटे सांसद नकुलनाथ और मेयर प्रत्याशी विक्रम अहाके ने हनुमानजी के नाम पर कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील की है. इस बात से बीजेपी तिलमिला गई. प्रदेश बीजेपी ने छिंदवाड़ा में राज्य चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की है और कांग्रेस नेताओं के चुनाव प्रचार पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है. आखिर चुनाव में देवताओं या धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल क्यों होना चाहिए?’’

    हमने कहा, ‘‘बीजेपी को अपना दामन देखना चाहिए. वह खुद भी तो रामभरोसे रही है. इसलिए यदि कांग्रेस हनुमान भरोसे हो गई तो इसमें गलत क्या है?’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यह सही है कि 1984 के चुनाव में बीजेपी लोकसभा में सिर्फ 2 सीटों पर सिमट गई थी लेकिन आडवाणी ने रामरथ यात्रा निकालकर बीजेपी का उद्धार कर दिया था और 1989 में पार्टी ने 85 सीटें हासिल की थीं. राम के नाम से पत्थर भी समुद्र में तैर गए थे, फिर पार्टी की क्या बात है! राम मंदिर आंदोलन से बीजेपी मजबूत होती चली गई. बीजेपी वाले अपने उस वादे को निभाने जा रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था- रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे.’’

    हमने कहा, ‘‘अब कांग्रेस हनुमान का सहारा ले रही है. उसके नेता कह रहे हैं- को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो. भगवान सारे जगत का संकट दूर करते हैं लेकिन हनुमान तो अपने प्रभु पर आए संकट को दूर करते रहे हैं. लक्ष्मण के मूर्छित होने पर उनकी प्राणरक्षा के लिए संजीवनी बूटी वाला द्रोणगिरि पर्वत हनुमान ले आए थे. जब अहिरावण राम-लक्ष्मण को पाताल ले गया और बलि चढ़ाने की तैयारी में था, तभी हनुमान ने वहां पहुंचकर अहिरावण का वध कर दिया और राम-लक्ष्मण को अपने कंधे पर बिठाकर सकुशल ले आए थे. ऐसे हनुमान महाप्रभु का आशीर्वाद यदि कांग्रेस ले रही है तो बीजेपी क्यों खफा है? कांग्रेस वाले कह सकते हैं- तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं!’’