पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जिस जगह से आगे बढ़ गए, वहां पीछे मुड़कर देखने की जरूरत ही क्या है लेकिन मोह कहां छूटता है! कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद कई दशकों तक कांग्रेस के खूंटे से बंधे रहे. जब कांग्रेस ने उनकी उपेक्षा की और पुन: राज्यसभा टिकट नहीं दी तो आजाद ने कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बना ली. अब फिर उनके मन में कांग्रेस के प्रति प्रेम उमड़ आया है. उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में केवल कांग्रेस ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है. उन्होंने कहा कि यद्यपि मैं कांग्रेस से अलग हो गया हूं लेकिन मैं उनकी धर्मनिरपेक्षता की नीति के खिलाफ नहीं था बल्कि कांग्रेस के कमजोर सिस्टम के खिलाफ था. मैं अभी भी चाहता हूं कि कांग्रेस गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करें.’’
हमने कहा, ‘‘आजाद की हालत ऐसी है कि आता है याद मुझको गुजरा हुआ जमाना! उन्हें इंदिरा व राजीव गांधी के समय से कांग्रेस के साथ अपना जुड़ाव याद आ रहा होगा तभी तो पार्टी छोड़ने के महीनों बाद कह रहे हैं कि कांग्रेस ही विकास कर सकती है.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जब गुलाम नबी आजाद राज्यसभा से रिटायर हुए थे तो प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी बहुत प्रशंसा की थी. तब मोदी की आंखों में आंसू छलक आए थे. इससे लोगों में चर्चा थी कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में मोदी गुलाम नबी आजाद का इस्तेमाल नेकां और पीडीपी के खिलाफ कर सकते हैं ऐसा कुछ भी होता दिखाई नहीं देता. वे समझ गए हैं कि अंगूर खट्टे हैं. अब आजाद अपनी हालत से हताश हैं इसीलिए उनके बोल बदल गए हैं और वे कांग्रेस की तारीफ करने लगे हैं. संभवत: वे चाहेंगे कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे या पार्टी हाईकमांड सोनिया गांधी उन्हें कांग्रेस में वापस बुला लें. आजाद ने आम आदमी पार्टी को केवल केंद्र शासित दिल्ली की पार्टी बताया और कहा कि वह गुजरात व हिमाचल प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं है.’’
हमने कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो जाने से अब तो जी-23 नेताओं का असंतोष भी दूर हो गया है. इसलिए आजाद भी चाहे तो घरवापसी कर सकते हैं.’’