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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अपने पिता धर्मेंद्र के समान ही सनी देओल अपनी लोकसभा सदस्यता को लेकर गंभीर नहीं हैं. धर्मेंद्र जब राजस्थान के बीकानेर से सांसद थे तो चुनाव क्षेत्र में मुंह नहीं दिखाते थे, अब उनके बड़े बेटे सनी देओल पंजाब के गुरदासपुर से सांसद हैं लेकिन अपने चुनाव क्षेत्र में झांककर भी नहीं देखते. 2 वर्षों से उनके दर्शन नहीं हुए. इस तरह के रवैये से उनके प्रति नाराजगी बढ़ रही है तथा लोगों का बीजेपी और सनी देओल से मोहभंग हो गया है. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पठानकोट के सिटी रेलवे स्टेशन पर सनी देओल की गुमशुदगी के पोस्टर लगाए.’’

    हमने कहा, ‘‘ऐसा मानकर चलिए कि धर्मेंद्र और उनके दोनों बेटे सनी और बॉबी देओल ‘जट यमला पगला दिवाना’ हैं. बीजेपी ने टिकट दिया तो अपनी फिल्मी लोकप्रियता के बल पर चुनाव जीत गए. बाद में चुनाव क्षेत्र और वहां की जनता से उन्हें कोई मतलब नहीं है. धर्मेंद्र के प्रचार में उनके बेटे बॉबी ने काफी मेहनत की थी लेकिन चुनावी मौसम के बाद ये लोग गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो जाते हैं. धर्मेंद्र की गुमशुदगी पर बीकानेर में पोस्टर लगे थे, अब ऐसे ही पोस्टर पठानकोट में सनी देओल की तलाश के लिए लगे हैं.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सच तो यह है कि एक्टर सांसद बन जाते हैं पर अपने संसदीय क्षेत्र से दूर रहते हैं. एक समय गुरदासपुर से विनोद खन्ना सांसद थे. उन्हें वाजपेयी सरकार में उपविदेशमंत्री बनाया गया था. शत्रुघ्न सिन्हा जहाजरानी मंत्री बनाए गए थे. वाजपेयी जब दोस्ती का पैगाम लेकर बस से लाहौर गए थे तो अपने साथ देव आनंद को ले गए थे. कांग्रेस ने बीजेपी के राम नाईक को हराने के लिए अभिनेता गोविंदा का इस्तेमाल किया था. काफी पहले कांग्रेस ने हेमवती नंदन बहुगुणा को हराने के लिए अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव में उतारा था.’’

    हमने कहा, ‘‘फिल्मी सितारों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाने की फुरसत नहीं रहती. केवल हेमा मालिनी अपवाद हैं जो बीजेपी सांसद के रूप में अपने चुनाव क्षेत्र मथुरा का ध्यान रखती हैं और सक्रिय हैं.’