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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी प्रमुख व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे को चुनौती देते हुए कहा कि अगर दम है तो वे शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के नाम पर नहीं बल्कि अपने बाप के नाम पर वोट मांग कर दिखाएं. हमारी समझ में नहीं आता कि इस विवाद में बाप का उल्लेख करने की क्या जरूरत थी?’’

    हमने कहा, ‘‘बाप है तभी तो आप हैं. किसी को चोट लगती है तो चिल्लाता है- अरे बाप रे! अमिताभ बच्चन ने फिल्म में कहा था- रिश्ते में हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह! हिंदी में कहावत है- बाप बता नहीं तो श्राद्ध कर! झगड़े में लोग चुनौती देते हैं- किसी के बाप में दम नहीं है जो मुझसे आकर भिड़े. किशोर कुमार और चांद उस्मानी की पुरानी फिल्म का नाम था- बाप रे बाप.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बाप हमेशा बाप होता है जो कि बेटे के लिए रोल मॉडल रहता है. बच्चे का पालन पोषण मां करती है लेकिन उसे संरक्षण बाप देता है. आपने गीत सुना होगा- पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा! हर बाप चाहता है कि उसका बेटा उससे दो कदम आगे निकले. योग्य सुपुत्र के लिए कहा जाता है- बाप से बेटा सवाई.’’

    हमने कहा, ‘‘व्यवसाय घरानों में पिता के बिजनेस को बेटा आगे बढ़ाता चला जाता है. धीरूभाई अंबानी का व्यवसाय मुकेश अंबानी कितने आगे तक ले गए. कुशल बिजनेसमैन का दृष्टिकोण रहता है बाप बड़ा ना भैय्या, सबसे बड़ा रुपैया!’’

    हमने कहा, ‘‘कभी किसी के बारे में यह भी कहा जाता है- बाप ने मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज! बाप का पेशा सीखना बेटे के लिए आसान रहता है. इसीलिए डाक्टर का बेटा डाक्टर, वकील का बेटा वकील और नेता का पुत्र नेता बनता है. उसकी आधी ट्रेनिंग घर में ही हो जाती है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बाप के जूते में बेटे का पैर समाने लग जाए तो समझ लेना चाहिए कि वह बच्चा नहीं रहा. जो बेटा स्वच्छंद प्रवृत्ति का रहता है, उसके बारे में लोग कहते हैं- मां का डर ना बाप का डर, बन गए बेटा वालंटियर!’’