nishanebaaz Our India is great, people-oriented, all attention to religion

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, देश की जनता सदियों से अजान सुनती रही है और करोड़ों भारतीयों को हनुमान चालीसा भी कंठस्थ है. हनुमान चालीसा ध्यानमान होकर अपने घर के पूजास्थल या मंदिर में पढ़ने की परंपरा रही है परंतु अब राजनीति से प्रेरित होकर चुनौती देने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर हनुमान चालीसा पढ़ा जाने लगा है. इसमें श्रद्धा भावना की बजाय अपनी राजनीतिक ताकत प्रदर्शित करने का उद्देश्य नजर आता है. क्या इससे बजरंगबली खुश होते होंगे?’’

    हमने कहा, ‘‘जो चल रहा है, वह चलने दीजिए. आप धर्म को व्यक्तिगत विषय मानते होंगे लेकिन राजनेता उसे भुनाना चाहते हैं. उसमे भक्ति या आस्था का तत्व कम, चैलेंज देने का इरादा दिखाई देता है. धर्म को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है. कम से कम इसी बहाने भगवान का नाम स्मरण तो होता है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, देश में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है. जनता को बरगलाने और गुमराह करने के लिए यह सभी गतिविधियां हो रही हैं. बीजेपी मानती है कि मुस्लिम विरोधी स्टैंड लेने से उसे राजनीतिक लाभ मिल सकता है. राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने के लिए कट्टरता को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह राजनीतिक मौकापरस्ती या अवसरवादिता है.’’

    हमने कहा, ‘‘हमारे देश के लोग भावुक है. उन्होंने एक अपील पर कोरोना को भगाने के लिए दीये जलाए थे और ताली बजाई थी. किसी ने इसे लेकर तर्क नहीं किया था. मदारी डमरू बजाए तो नाचने में देर नहीं लगती.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महंगाई और बेरोजगारी से ध्यान बटाने के लिए यह सारे फंडे आजमाए जा रहे हैं. नि्क्रिरय पड़े विपक्ष के पास बीजेपी के पैंतरे का कोई जवाबी तोड़ नहीं है. धर्म के नाम पर वैमनस्य पैदा करनेवाले भूल रहे हैं कि धार्मिक विभूतियों ने हमेशा दया, प्रेम और सौहार्द्र की राह दिखाई थी.’’