पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, पहले चपत मारने के बाद फिर गाल सहला देना केंद्र सरकार की प्रवृत्ति है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम बढ़ने तथा रूस-यूक्रेन युद्ध के नाम पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्राय: हर दिन बढ़ाए जाते रहे. जनता हलाकान होती रही लेकिन सरकार को तनिक भी परवाह नहीं थी. केंद्र और राज्य एक्साइज ड्यूटी कम नहीं कर रहे थे. अब अचानक सरकार ने जनता को राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 8 और 6 रुपए एक्साइज ड्यूटी कम कर दी. इससे पेट्रोल के दाम 9.50 रु. प्रति लीटर और डीजल की कीमत 7 रुपए प्रति लीटर कम हो गई है. सरकार की इस दरियादिली के बारे में आप क्या कहेंगे?’’
हमने कहा, ‘‘इस सरकार के मंत्री कहा करते थे कि अच्छी सड़कें और पुल चाहिए तो पेट्रोल-डीजल के दाम ज्यादा देने होंगे. यह पैसा विकास के काम आता है. अब सरकार को दया आ गई कि जनता को गरीब की गाय समझकर काफी निचोड़ा, चलो कुछ राहत दे दी जाए ताकि बढ़ती महंगाई को लेकर वह शोर न मचाए!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सरकार के ऐलान को लेकर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने 60 दिन में पेट्रोल की कीमतों में 10 रुपए की बढ़ोतरी की और अब 9.50 रुपए घटा रही है, वहीं डीजल की कीमतें 60 दिन में 10 रुपए बढ़ा दीं और अब 7 रुपए कम की जा रही हैं. सरकार लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करे.’’
हमने कहा, ‘‘यद्यपि पेट्रोल की बेस प्राइस 56.35 रुपए और डीजल की बेस प्राइस 57.94 रुपए प्रति लीटर है लेकिन यह भी तो सोचिए कि इसमें परिवहन भाड़ा, एक्साइज ड्यूटी, डीलर का कमीशन और वैट भी तो जुड़ता है. रसोई गैस सिलेंडर के दाम भी बहुत बढ़ गए हैं लेकिन सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 9 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को वर्ष में 12 सिलेंडर तक के लिए 200 रुपए प्रति सिलेंडर की सब्सिडी देने का ऐलान किया है. अमीरों को तकलीफ नहीं है. सरकार गरीबों का ध्यान रख रही है. पिस रहा है तो सिर्फ मध्यम वर्ग.’’