nishanebaaz Strong resolution of Rahul Gandhi, will find alternative to government bungalow

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी संसद सदस्यता छीन लिए जाने के बाद अब गृहविहीन या बेघर होने जा रहे हैं. उन्हें 22 अप्रैल तक 12, तुगलक रोड स्थित सरकारी आवास खाली करने का नोटिस दे दिया गया है. ऐसी हालत में वे कहां रहेंगे. सिर छुपाने के छत भी तो चाहिए.’’

हमने कहा, ‘‘राहुल कांग्रेसजनों के दिलों में रहते हैं. जिस इंसान ने भारत जोड़ो जैसा उपक्रम किया है, उसके लिए देश  में जगह की क्या कमी? अपनी यात्रा के दौरान वे कंटेनर में रहते थे, किसी बंगले में नहीं. चाहें तो राहुल अपनी मम्मी सोनिया गांधी के बंगले में जाकर रह सकते हैं और उनकी देखभाल भी कर सकते हैं. बढ़ती उम्र में संतानों का करीब रहना भी तो जरूरी है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज प्राइवेसी के लिहाज से खुद का अलग बंगला रहना जरूरी है. राहुल को समय रहते अपने लिए यह इंतजाम कर लेना चाहिए था. लगभग 7 दशक पहले कुंदनलाल सहगल ने गाया था- इक बंगला बने न्यारा, सोने का बंगला, चांदी का जंगला! एक अन्य गीत था- दरिया किनारे एक बंगलो ग, पोरी जई जो जई! बंगला कितना जरूरी होता है, यह सोचकर ही अंग्रेजों ने देश में जगह-जगह डाक बंगले बनवाए थे.’’

हमने कहा, ‘‘राहुल गांधी का सरकारी बंगला तुगलक रोड पर है. इतिहास के मुताबिक मोहम्मद तुगलक एक सनकी बादशाह था जिसे अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद ले जाने की सनक छूजी. उसने सारे दिल्ली निवासियों को अपने घर खाली कर दौलताबाद चले जाने का हुक्म दिया था. सोचिए, उन बेचारों पर क्या बीती होगी!’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इस समय दिल्ली निवासियों को नहीं सिर्फ राहुल को बंगला खाली करने को कहा गया है. वैसे भी ‘बिन धरती घर भूत का डेरा’ होता है. अकेला व्यक्ति कहीं भी जाकर रह सकता है. दिक्कत फैमिलीवाले को आती है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार कहा था कि हम तो फकीर आदमी ठहरे. कभी भी झोला-डंडा उठाकर चल देंगे. जहां तक राहुल की बात है वे चाहे तो प्रियंका दीदी और राबर्ट वाड्रा जीजाजी के यहां जाकर भी रह सकते हैं.’’

हमने कहा, ‘‘कुछ ऐसे भी नेता होते हैं जिन्हें सरकारी बंगला नापसंद होता है. जब मनमोहनसिंह सरकार में शशि थरुर को मंत्री बनाया गया था तो उन्होंने फाइव स्टार होटल में रहना पसंद किया था. उनका कहना था कि होटल में जिम है, स्पा है. विदेशी मित्रों को एंटरटेन करने की सुविधा और पूरी प्राइवेसी है. सरकारी बंगले में यह सब कहां! बंगला खाली करना भी पड़े तो क्या! अशोका और मौर्या शेरटन जैसे शानदार होटल किसलिए हैं.’’