nishanebaaz-There will be no oil, neither Radha will dance, will the hope of opposition unity arise

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, इस वर्ष होनेवाले 6 राज्यों के विधानसभा चुनावों में और उसके बाद 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए क्या संभावनाएं हैं? क्या सत्ता परिवर्तन के कुछ आसार नजर आते हैं?’’

हमने कहा, ‘‘एकजुट बीजेपी के खिलाफ बिखरा हुआ विपक्ष चुनौती बन ही नहीं सकता. विपक्ष में हर नेता महत्वाकांक्षी है. बौने उछल-उछलकर आसमान छूना चाहते हैं. जिन नेताओं को उनके राज्य के बाहर कोई नहीं पूछता, वे भी पीएम पद के लिए लालायित हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राज्यस्तरीय नेता भी प्रधानमंत्री बनते देखे गए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की कोई अखिल भारतीय पहचान नहीं थी. वे हिंदी भी नहीं जानते थे, फिर भी पीएम बने थे. विपक्ष एकजुट हो जाए तो मिट्टी के माधो को भी प्रधानमंत्री बना सकता है. पहले मजबूत गठबंधन बनाकर चुनाव लड़े और बाद में पीएम तय करे.’’

हमने कहा, ‘‘विपक्षी पार्टियों की स्थिति ऐसी है कि तू भी रानी, मैं भी रानी, कौन भरे कुएं से पानी! ममता, केजरीवाल, के.चंद्रशेखर राव सभी खुद को तोपचंद समझते हैं. यदि ऐसे नेता कांग्रेस को छोड़कर गठबंधन बना भी लें तो उनके हाथ कुछ आनेवाला नहीं है. बीजेपी के बाद कांग्रेस ही देश की दूसरी बड़ी पार्टी है जिसकी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में सरकारें हैं. कर्नाटक और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी. इसलिए कांग्रेस को कम नहीं आंकना चाहिए.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, देश-विदेश में मोदी मैजिक देखा जा रहा है. पीएम में इतनी एनर्जी है कि हर राज्य में प्रचार के लिए पहुंच जाते हैं. उनकी टक्कर का कोई नेता हो तो बताइए.’’

हमने कहा, ‘‘कहावत है- समय होत बलवान! वक्त के साथ बदलाव होता चला जाता है. कोई पर्वतारोही भी हिमालय की चोटी पर चढ़ने के बाद वहीं नहीं टिका रहता, उसे उतरकर नीचे आना पड़ता है. सत्ता के शिखर से कभी न कभी नीचे उतरना ही पड़ता है. यदि तमाम विपक्षी दल मिलकर बीजेपी के खिलाफ हर सीट पर एक साझा उम्मीदवार उतारें और वोटों को बंटने न दें तो बीजेपी बेबस हो जाएगी.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सपा के साथ बसपा जा नहीं सकती. लेफ्ट और ममता एकसाथ आ नहीं सकते! इसलिए न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी.’’