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मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के घाटखेड़ी गांव में बुधराम आदिवासी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनवाया.

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आग, पानी और बड़े-बड़े लोगों से जरा दूरी ही रखनी चाहिए. इसी में खैरियत है. जिस तरह गाड़ी के अगाड़ी और घोड़े के पिछाड़ी खड़े नहीं रहना चाहिए, वैसे ही बड़े लोगों के इर्द-गिर्द रहने पर कोई न कोई मुसीबत घेर लेती है.’’ हमने कहा, ‘‘आप कैसी उल्टी पट्टी पढ़ा रहे हैं? लोग तो तरसते हैं कि किसी बड़े आदमी से जान-पहचान हो ताकि जीना आसान हो. किसी सामान्य व्यक्ति के घर के सामने वीआईपी की लाल बत्ती वाली गाड़ी खड़ी हो जाए तो मोहल्ले में उसका रुतबा बढ़ जाता है. लोग उससे ईर्ष्या करते हैं कि देखो, कितने बड़े लोगों तक इसकी पहुंच है!’’

    पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, हम तो कहते हैं कि न किसी बड़े आदमी से चिपको, न उसे अपने पास आने दो. इससे किस तरह नुकसान उठाना पड़ता है, इसका उदाहरण सामने है. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के घाटखेड़ी गांव में बुधराम आदिवासी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनवाया. इस मकान का राज्यपाल के हाथों लोकार्पण हुआ. राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सरकारी कार्यक्रम में बुधराम को मकान की चाबी सौंपी और उसके घर जाकर उसके साथ भोजन किया.’’ हमने कहा, ‘‘तब तो वह आदिवासी गदगद हो गया होगा कि अहोभाग्य! गवर्नर उसके यहां खाना खाने आए!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘राज्यपाल का दौरा देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों व सरपंच ने बुधराम के घर में गेट और पंखा लगवा दिया था. मजदूरों से घर की सफाई व पुताई भी करवा दी थी. जब राज्यपाल चले गए तो गरीब बुधराम आदिवासी को पंखे और गेट का 14,000 रुपए का बिल दे दिया गया. सफाई करने वालों की मजदूरी भी उससे दिलवाई गई. इसलिए समझ जाइए कि घर में किसी वीआईपी का आना कितना महंगा पड़ता है!’’

    हमने कहा, ‘‘पहले किसी गरीब को सजा देनी होती थी तो बादशाह उसे पालने के लिए हाथी दे देते थे और कहते थे कि हाथी का वजन जरा भी कम नहीं होना चाहिए. जिस बेचारे का खुद ही खाने का ठिकाना नहीं, वह हाथी कहां से पालेगा? ऐसी ही मुसीबत किसी बड़े आदमी के अपने घर आने से पैदा होती है. उसके आने से फायदा कुछ नहीं, बल्कि गरीबी में आटा गीला हो जाता है.’’