nishanebaaz Waiting to take oath, leaders are eager to become minister

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, शीघ्र ही शपथ समारोहों का मौसम शुरू होने वाला है. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति व नए उपराष्ट्रपति की शपथ विधि होगी. इसी प्रकार महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर उसके सदस्य भी शपथ लेंगे. अभी तो महाराष्ट्र सरकार का अर्थ केवल 2 लोगों से है- एक मुख्यमंत्री और दूसरे उपमुख्यमंत्री! उनकी बाकी टीम और उनके विभागों का फैसला बाकी है.’’

    हमने कहा, ‘‘आपको शपथ की इतनी चिंता क्यों है? मंत्री बनने के इच्छुक नेता जानते हैं कि समय से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता. ऐसे नेताओं के लिए अभी थोड़ी सी बेकरारी, थोड़ा सा इंतजार बाकी है. ज्यादा उतावली ठीक नहीं है. सत्ता से प्रेम रखनेवाले नेता से कहा जा सकता है- सीखा नहीं सबक तूने प्यार का, तू जाने क्या मजा इंतजार का. महाराष्ट्र की नई सरकार में कुछ शिंदे गुट के मंत्री होंगे तो कुछ बीजेपी के!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पद का रास्ता शपथ से होकर जाता है. राज्यपाल मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. कोई ईश्वर के नाम पर शपथ लेता है तो कोई संविधान के नाम पर! कोई भी सरकार इसलिए पारदर्शी नहीं हो पाती क्योंकि मंत्री गोपनीयता की शपथ लेते हैं. मतलब यह कि अंदर की बात बाहर नहीं जाने देंगे. कुछ मंत्री अपने किसी नेता के नाम पर शपथ लेने की कोशिश करते हैं तो राज्यपाल उन्हें टोक देते हैं. कुछ मंत्री शपथ लेते समय कुछ शब्दों पर अटक जाते हैं. उन्हें भी सुधारना पड़ता है.’’

    हमने कहा, ‘‘मुद्दा यह भी रहता है कि शपथ कहां ली जाए, राजभवन में या खुले आसमान के नीचे बनाए गए मंच पर? वैसे बरसात का मौसम है, इसलिए राजभवन के भीतर ही शपथ लेना उचित रहेगा.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ तो ले लेते हैं लेकिन इसका कितना पालन करते हैं? उनकी निष्ठा क्या सचमुच टिकाऊ होती है?’’ हमने कहा, ‘‘राजनीति में टिकाऊ के अलावा बिकाऊ लोग भी होते हैं. पहले तो उन्हें शपथ लेकर अपने पथ पर आगे बढ़ने दीजिए.’’