nishanebaaz-Whose luck should it take, unemployed engineers start selling tea

बाद में उसे लगने लगा कि उसकी किस्मत में कोई बढ़िया सी नौकरी है ही नहीं!

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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अब इंजीनियर भी चाय बेचने लगे. अहमदाबाद में रौनक राज नामक 27 वर्षीय इंजीनियर ने चाय का स्टाल लगा रखा है. इस युवक ने गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली, लेकिन इसके बाद उसे कोई ऐसी नौकरी नहीं मिल पाई जिसके भरोसे वह जीवनयापन कर सके. उसकी पहली नौकरी 7,000 रुपए महीने वेतन वाली थी. उसने 2016 से 2020 तक अच्छी नौकरी के लिए बहुत हाथ-पैर मारे. बैंक, राज्य सरकार, स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड, हाईकोर्ट सभी जगह कोशिश की. बाद में उसे लगने लगा कि उसकी किस्मत में कोई बढ़िया सी नौकरी है ही नहीं!

ऐसी हालत में उसने आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया और टी स्टाल खोल लिया. वहां वह 2 बिस्किट के साथ अपने ग्राहक को 15 रुपए में चाय देता है जबकि कॉफी के 20 रुपए लेता है.’’ हमने कहा, ‘‘उसने बहुत सही लाइन चुनी. प्रधानमंत्री मोदी भी बचपन में गुजरात के वडनगर स्टेशन पर चाय बेचा करते थे. चाय पीछे छूट गई और देश में उन्हें चाहने वाले बहुत बढ़ गए. वैसे भी चाय पिलाने से रिश्ते मजबूत बनते हैं. चाय से की गई शुरुआत बहुत दूर ऊंची मंजिलों तक ले जाती है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यह तो ठीक है लेकिन रौनक राज की इंजीनियरिंग की पढ़ाई किसी काम न आई. यह तो वैसा ही हुआ कि पढ़ें फारसी, बेचें तेल, ये देखो कुदरत का खेल!’’

हमने कहा, ‘‘पढ़ाई ज्ञान बढ़ाने के लिए होती है, उसे नौकरी से मत जोड़िए. कितने ही लोग कानून की डिग्री लेते हैं लेकिन बाद में वकालत नहीं करते, कोई और काम करने लग जाते हैं. शौक से पढ़ने वाले लोग भी होते हैं जो कई डिग्रियां लेते हैं लेकिन बाद में उद्योग, व्यापार या राजनीति के क्षेत्र में उतर जाते हैं. उनकी पढ़ाई उन्हें कुछ नया करने का आत्मविश्वास दे जाती है. रौनक राज ने देखा कि कोरोना संकट में भी लोगों ने चाय पीने का शौक नहीं छोड़ा. चाय के धंधे में उसे कम लागत से ज्यादा आमदनी का फंडा नजर आया. अपने टी स्टाल के आसपास के 2-3 बड़े-बड़े आफिस पकड़ लिए और वहां 2 बार भी चाय पहुंचाई तो बढ़िया आमदनी होने लगी.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अब इस चाय बेचने वाले इंजीनियर का अगला कदम क्या होगा? क्या वह यहीं अटक कर रह जाएगा?’’ हमने कहा, ‘‘मोदी सरकार के मंत्रियों ने कहा था कि पकौड़े बेचना भी एक रोजगार है. रौनक राज चाय के साथ गर्म पकौड़े बेचे तो उसकी आय और बढ़ जाएगी. वह देश के बेरोजगार इंजीनियरों के लिए आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है.’’