अब केरल कांग्रेस में दो फाड़, थरूर के लिए बंद हैं किवाड़

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जब राहुल गांधी पहले ही ‘भारत जोड़ो’ यात्रा पर हैं और सारा फोकस उसी पर केंद्रित है तो ऐसे मौके पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर को 4 दिनों की मलाबार यात्रा निकालने की क्या जरूरत थी? इससे लोगों का ध्यान बंटता है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘हर व्यक्ति की अपनी जीवन यात्रा होती है. राहुल अपने रास्ते और थरूर अपने रास्ते! इसमें कहीं कोई टकराव नहीं है. मार्ग भले ही अलग-अलग हो लेकिन मंजिल एक ही है. शशि थरूर प्रबुद्ध व संभ्रांत नेता हैं. वे यूएन में अंडर सेक्रेटरी रह चुके हैं. उनकी अंग्रेजी भाषा पर बहुत अच्छी कमांड है. वे ऐसे-ऐसे कठिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं कि उनका मतलब समझने के लिए डिक्शनरी देखनी पड़ती है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज कांग्रेस को जनता से जुड़े नेता चाहिए. वहां ज्यादा विद्वान या हाई सोसाइटी वाले ‘एलिट’ नेता की जरूरत नहीं है. ज्यादा विद्वता दिखानेवाले को कोई भी पार्टी पचा नहीं पाती. बीजेपी में डा. सुब्रमण्यम स्वामी और कांग्रेस में शशि थरूर मिसफिट हैं. केरल में थरूर की एंट्री से कांग्रेस दो फाड़ हो रही है. थरूर के एक्टिव होने से राहुल गांधी के करीबी नेता के सी वेणुगोपाल बहुत टेंशन में हैं. वेणुगोपाल भी केरल निवासी है. एक म्यान में 2 तलवार कैसे रह पाएंगी?’’ 

    हमने कहा, ‘‘कांग्रेस एक की बजाय 2 म्यान में 2 तलवारें रख ले. थरूर को कांग्रेस अपना बौद्धिक सेल प्रमुख बना सकते है. कॉमनवेल्थ के एक फोरम में शशि थरूर ने अंग्रेजों की खूब खिंचाई की थी. उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत का 23 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा था. यहां का धन विदेशी लूटकर ले गए. 

    शिक्षा-संस्कृति में भी भारत उस समय शिखर पर था. जब विश्व के अधिकांश देश पिछड़े हुए थे. उनके भाषण का खंडन करने का साहस किसी ने भी नहीं दिखाया. इतने अच्छे वक्ता थरूर को यूथ कांग्रेस की संगोष्ठी में बुलाया गया था लेकिन उन्हें अंतिम समय में वहां से बाहर कर दिया गया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘जब राहुल को आगे बढ़ाना है तो थरूर के कदमों को बांधना ही पड़ेगा.’’