शपथ तो बहाना है, जमाने को दिखाना है, भरपूर धन लुटाना है

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, पहले राजा-महाराजाओं की ताजपोशी बड़ी शानो-शौकत से होती थी. लोकतंत्र में यह स्थान नेताओं के शपथ समारोह ने ले लिया है जो पूरी भव्यता और दिव्यता से किए जाते हैं और इसके लिए टैक्सपेयर का पैसा पानी की तरह लुटाया जाता है. माले मुफ्त, दिले बेरहम! नेता की जेब से क्या जाता है!’’ हमने कहा, ‘‘आप किस नेता का कर रहे हैं जिक्र? शपथ होगी उसकी, आपको क्यों इतनी फिक्र?’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ ‘आप’ नेता भगवंत मान लेने वाले हैं जो शहीदे आजम भगतसिंह के गांव खट्टर कलां में होगी. मान राजभवन में शपथ न लेकर वहां अपनी सरकार की शपथ विधि करवाएंगे. महान शहीद के प्रति उनकी यह विनम्र श्रद्धांजलि होगी.’’ हमने कहा, ‘‘यह देशभक्ति और ईमानदारी का अनूठा प्रयास है. आलीशान राजभवन की बजाय खुले आसमान के नीचे सादगी से शपथ लेने की मान की सोच को सराहनीय मानना होगा.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, न यहां सादगी है, न किफायत! केवल इस शपथ समारोह पर सरकारी खजाने से 2.61 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जबकि पंजाब पर पहले ही भारी कर्ज का बोझ लदा है. शपथ समारोह में उमड़ने वाली भारी भीड़ और गाड़ियों की पार्किंग की जरूरत को देखते हुए किसानों को 40 एकड़ गेहूं की फसल पर बुलडोजर चलाकर नष्ट कर देने को कहा गया. इसके लिए किसानों को 46,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाएगा.’’ 

    हमने कहा, ‘‘यह तो व्यर्थ की बरबादी है. मान को राजभवन में शपथ लेने में कौन सी तकलीफ थी?’’ हमने कहा, ‘‘राजनीति में दिखावा करने का रिवाज है. मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार की शपथ महात्मा गांधी की समाधि ‘राजघाट’ पर हुई थी. 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की शपथ दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई थी जिसमें नवाज शरीफ सहित कई विदेशी नेता मौजूद थे. यह शपथ वैसी नहीं है कि एक मैंने कसम ली, एक तूने कसम ली, नहीं होंगे जुदा हम!’’