आरोपों में घिरे हैं बेशक, ऐसे हैं आपके 363 सांसद-विधायक

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, न हम मुंसिफ बन पाए न कारिंदा, इसलिए सोचते हैं कि बन जाएं जनता का नुमाइंदा. एक बार सांसद या विधायक चुन लिए जाएं तो हो जाएगी बल्ले-बल्ले!’’ हमने कहा, ‘‘पहले किसी नेता के दुमछल्ले तो बनकर दिखाइए, उसके बाद बल्ले-बल्ले कहिएगा. यदि लीडरी करने का इतना ही शौक है तो सांसदों-विधायकों के नक्शेकदम पर चलिए. आपको पहले दबंग या बाहुबली बनना पड़ेगा.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमने सलमान खान की फिल्म दबंग और राजामौली की फिल्म बाहुबली देखी है. हमें यह भी पता है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा! जहां तक हमारे सांसद या विधायक बनने का इरादा है, उसके लिए हम जनता से हर तरह का लुभावना वादा करेंगे. वोटरों को फुसलाएंगे, बहलाएंगे. हमारा खयाल है कि इतने से काम चल जाएगा. वैसे सभी जानते हैं कि नोट खर्च किए बगैर वोट नहीं मिलते. नोटों पर गांधी दर्शन किए बगैर किसी का काम नहीं चलता.’’ 

    हमने कहा, ‘‘हमारे सांसदों-विधायकों की असली योग्यता के बारे में जान लीजिए. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने कहा है कि कुल 363 सांसद-विधायक आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं. यदि उन पर दोष सिद्ध हो जाता है तो उन्हें जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अयोग्य करार दिया जाएगा. उनको अपने पद से हाथ धोना पड़ेगा और आगे भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. 

    सजा काटने के बाद जब रिहा हो जाएंगे, उसके उपरांत भी 6 वर्ष की अवधि तक वे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बने रहेंगे. देश के 2,495 सांसदों-विधायकों में से 363 ने घोषणा की है कि उनके खिलाफ कानून में सूचीबद्ध अपराधों के लिए अदालतों द्वारा अपराध तय किए गए हैं. इनमें 296 विधायक और 67 सांसद हैं तथा केंद्र व राज्यों के 39 मंत्री भी हैं. इसे देखते हुए आपको नेता बनना ही है तो राजनीति में अपराध की मिलावट से दूर रहिए. आजकल वैसे भी मंत्री की कुर्सी और कारावास के बीच का फासला कम ही रह गया है.’’