चुनाव निकट रहते किया जा रहा तेरहवीं का बड़ा इवेंट

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, चुनाव निकट आने पर खिला-पिला कर वोट लेने का दस्तूर पुराना है. किसी का जन्मदिन या मृत्यु तो बहाना है. पार्टी लोगों का पेट भरकर अपनी सफलता का गेट खोलती है. वोटरों की संगत तभी मिलती है जब उन्हें प्रेम से पंगत में बिठाकर पेट पूजा कराई जाए.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, शब्दों की जलेबी मत बनाइए. मामला क्या है, साफ-साफ समझाइए. कौन सी ऐसी पार्टी है जो चुनाव सामने देखकर लोगों के प्रति मेहरबान और कद्रदान हो उठी है?’’

    हमने कहा, ‘‘बीजेपी की दरियादिली देखिए. यह पार्टी लोक कल्याण का ध्यान रखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की तेरहवीं पर अलीगढ़ के निकट अतरौली के एक कॉलेज के प्रांगण में 1,00,000 लोगों को भोज देने जा रही है. यह कोई सामान्य ब्रम्हभोज नहीं, बल्कि समाज भोज होगा जिसकी तैयारियों के लिए दिल्ली, आगरा और मथुरा से कारीगरों को बुलाया गया है. 700 कारीगर राजस्थानी बूंदी के लड्डू बनाने में लगे हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कोई खुशी का मौका रहता तो बात अलग होती, तेरहवीं का खाना तो मृत्युभोज या मौत की दावत होता है. कुछ ऐसे भी लोग हैं जो तेरहवीं का खाना टालते हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘मृतात्मा की शांति के लिए तेरहवीं भोज का प्रचलन चला आ रहा है लेकिन बीजेपी ने इसे इवेंट बना दिया है. इस भोज में 2 मुख्यमंत्री, केंद्रीय व प्रदेश के मंत्रियों व राज्यपाल का भी आना तय है. बीजेपी और संघ के नेता भी शिरकत करेंगे. खाने में पूड़ी, कचौड़ी के साथ मटर पनीर, आलू लटपटे, कुम्हड़ा, छोले, मटर पुलाव व बूंदी के लड्डू परोसे जाएंगे. इस आयोजन के लिए 4 बड़े पंडाल बनाए जा रहे हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, चुनाव के समय मृत्यु या दुर्घटनाओं पर संवेदनाएं ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर पेश की जाती हैं. मौत तो बस बहाना है, जनता से अपनापन बढ़ाना है!’’