अपने काम पर करते हैं नाज, उद्धव को नापसंद चमकोगिरी का अंदाज

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्हें चमकोगिरी पसंद नहीं है. मुंबई में 500 वर्ग फीट के छोटे घरों का संपत्ति कर माफ करने के मौके पर उन्होंने बीजेपी को जमकर लताड़ा और कहा कि मुझे अपने काम का विज्ञापन देकर चमकना पसंद नहीं है. आपकी इस बारे में क्या राय है?’’ 

    हमने कहा, ‘‘दुनिया में ऊपरी चमक-दमक काफी देखी जाती है. जहां चमक नहीं रहती, वहां पालिश से चमक लाई जाती है. महिलाएं नेल पालिश का इस्तेमाल करती हैं तो पुरुष अपनी बूट पालिश का ध्यान रखते हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कहावत है कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती (आल दैट ग्लिटर्स इज नाट गोल्ड). कुछ लोग बड़ी सादगी से लो प्रोफाइल में रहते हैं लेकिन उनके दिमाग या बुद्धि में चमक या स्पार्क होता है. 

    किसी की किस्मत जल्दी चमकती है तो किसी की देर से. एक जमाने में मोहल्लों में कलईवाला घूमता था जो भट्टी सुलगाकर पीतल के पीले बर्तनों को चांदी की तरह चमका दिया करता था. स्टेनलेस स्टील के बर्तन आने के बाद अब कलई कराने की जरूरत नहीं रह गई. तांबे के बर्तन चमकाना है तो पीताम्बरी पाउडर से रगड़ लो.’’ 

    हमने कहा, ‘‘किसी गंजे व्यक्ति की चांद चमकती है. कोई अपनी दौलत से तो कोई अपनी शोहरत या लोकप्रियता से चमकता है. कक्षा में फर्स्ट आनेवाले छात्र के चेहरे की चमक देखते ही बनती है. पुराना फिल्मी गीत है- तेरी चमकती आंखों के आगे ये सितारे कुछ भी नहीं.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, उद्धव ठाकरे ने हर काम का विज्ञापन कर चमकोगिरी दिखानेवाले बीजेपी के बड़े नेताओं पर फिकरा कसा है.’’ हमने कहा, ‘‘नेता हों या फिल्मी सितारे, उनका अस्तित्व चमक पर ही निर्भर है. चमक धुंधली हुई तो फिर कोई नहीं पूछता. अब नए वर्ष में उम्मीदें जगाने के लिए यही कहना पड़ेगा- गया अंधेरा, हुआ उजाला, चमका-चमका सुबह का तारा!’’