राहुल-अरविंद मारते ताना हर वक्त साधते मोदी के ‘मित्रों’ पर निशाना

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, न जाने क्यों कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आप नेता अरविंद केजरीवाल हर समय प्रधानमंत्री मोदी पर अपने मित्रों को उपकृत करने का आरोप लगाते रहते हैं. क्या मैत्रीभाव रखना और मित्रों पर उपकार करना कोई गलत बात है? हम तो इसे सदगुण मानते हैं. आपकी इस बारे में क्या राय है?’’

    हमने कहा, ‘‘मित्रता तो सनातन काल से चली आ रही है. कृष्ण-सुदामा की मित्रता प्रसिद्ध है. यदि कृष्ण जैसा मित्र साथ नहीं देता तो अर्जुन महाभारत युद्ध में क्या कर पाते? हनुमानजी ने राम और सुग्रीव की अग्नि की साक्षी में मित्रता कराई थी जिससे लंका पर चढ़ाई के लिए विशाल वानरसेना उपलब्ध हो गई थी. विभीषण ने रावण की लात खाने के बाद जाकर राम की शरण ली तो इस मैत्रीभाव के कारण उसे लंका का राजपाट मिल गया. द्रौपदी का जितना भरोसा पांचों पांडवों पर नहीं था, उससे ज्यादा विश्वास अपने सखा श्रीकृष्ण पर था. चाहे चीरहरण का प्रसंग हो या दुर्वासा का अपने शिष्यों सहित भोजन करने वनवासी पांडवों के यहां आने का, ऐसी कठिन स्थितियों में सखा कृष्ण ने ही द्रौपदी की मदद की. मित्रता या सखाभाव हमेशा बहुत काम आता है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘पौराणिक बातों की बजाय वर्तमान को देखिए. अंबानी और अदानी जैसे मित्रों की ओर ध्यान दीजिए. उन मित्रों को याद कीजिए जो हजारों करोड़ का कर्ज लेकर विदेश भाग गए और यह रकम बट्टे खाते में डाल दी गई.’’

    हमने कहा, ‘‘आप दिलजले जैसी बातें मत कीजिए. मित्रता में कोई शर्त नहीं होती. फिल्म शोले में जय और वीरू को आपने गाते हुए सुना होगा- ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे. ताराचंद बड़जात्या ने ‘दोस्ती’ नामक मूवी बनाई थी जिसका गीत था- तेरी दोस्ती मेरा प्यार! राजकपूर ने ‘संगम’ में गाया था- दोस्त-दोस्त ना रहा, प्यार-प्यार ना रहा!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पहले प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक पत्र लेखन की कला सिखाते हुए कहते थे- मित्र को पत्र लिखो. आजकल मित्र को एसएमएस भेजा जाता है क्योंकि लोग पत्र लिखना भूल गए. किसी को मित्र बनाना हो तो फ्रेंड रिक्वेस्ट डाली जाती है. किसी भुक्खड़ या टुटपुंजिए की बजाय यदि मोदी ने संपन्न मित्रों को चुना तो क्या बुरा किया? वृक्ष पर बैठना हो तो हमेशा मोटी और मजबूत डाल ही चुनी जाती है.’’