पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, पुलिस के सामने भी कैसे-कैसे विचित्र केस आते हैं! मध्यप्रदेश के भिंड जिले के नयागांव में बाबूराम नामक व्यक्ति अपनी भैंस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचा. उसका कहना था कि रोज 5 लीटर दूध देने वाली उसकी भैंस 2 दिनों से उसे दूध निकालने नहीं देती. पुलिस वालों ने उसे समझा-बुझाकर वापस भेजा तो वह फिर अपनी भैंस साथ लेकर थाने आ गया. आखिर पुलिस ने वेटरनरी डॉक्टर की मदद से उसकी समस्या दूर की. इस पर आपकी क्या टिप्पणी है.’’
हमने कहा, ‘‘भैंस ने किसी किताब से असहयोग आंदोलन वाला पन्ना चबा लिया होगा, इसलिए वह दूध देने में असहयोग करने लगी. भैंस के गुस्से और नखरे को देखते हुए उसके मालिक को गाना चाहिए था- गुस्सा तेरा वल्ला-वल्ला, नखरे तेरे उफ-उफ-उफ! वैसे भैंस के सामने बीन बजाकर देखना चाहिए था कि उसका मूड सुधरता है या नहीं!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की तान से गौएं खिंची चली आती थीं लेकिन जहां तक भैंस का मामला है, उसके लिए कहावत मशहूर है- भैंस के आगे बीन बजाई, वह बैठी पगुराई. दरअसल भैंस को पर्याप्त चारा खिलाना चाहिए तो दूध भी भरपूर देगी.
कितने ही पशुपालक भैंस को कपास का बीज जिसे बिनौला या सरकी कहते हैं, खिलाते हैं. इससे वह गाढ़ा दूध देती है. कहते हैं गाय का दूध पीने से बुद्धि बढ़ती है जबकि भैंस का दूध पीने से अक्ल मोटी हो जाती है. सवाल किया जाता है- अक्ल बड़ी या भैंस! अंग्रेजी में भैंस को बफैलो कहते हैं. अमेरिका से लगी कनाडा की सीमा में बफैलो नामक शहर है जहां लोग नायग्रा फाल देखने जाते हैं. भारत में मुर्रा प्रजाति की भैंस काफी महंगी होती है. भैंसा यमराज का वाहन है. कुछ राज्यों में बैलगाड़ी की बजाय भैंसागाड़ी चलती है. भैंसे की आपस में टक्कर भी कराई जाती है.’’
हमने कहा, ‘‘खास बात यह है कि यूपी में सपा नेता आजम खान की भैंसों की चोरी का मामला चर्चित रहा था. पुलिस ने उन भैंसों को खोज निकाला था. वैसे भैंसों को कीचड़ में बैठना पसंद आता है. कीचड़ में कमल खिलता है. कमल पर लक्ष्मी विराजमान रहती हैं. ब्रम्हा भी भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल पर आसीन हैं. कमल वाली पार्टी ही देश का शासन चला रही है.’’