वैज्ञानिकों से जज निकला आगे पंचगव्य खिलाने से बीमारियां भागे

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, उच्च शिक्षित व ऊंचे पदों पर विराजमान व्यक्ति भी कभी ऐसी बात कह देते हैं जो विज्ञानसम्मत प्रतीत नहीं होती. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने कहा कि गाय ही एकमात्र ऐसी प्राणी है जो आक्सीजन लेती और छोड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि यज्ञ में गाय के घी की आहुति देने से बारिश होती है. यह गाय का घी सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा देता है जो अंतत: बारिश का कारण बनता है. पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोमूत्र व गोबर) मिलाकर खाने से बीमारियां दूर हो जाती है. इन बातों पर आपकी क्या राय है?’’ 

    हमने कहा, ‘‘ऐसे दावों पर हमारी-आपकी राय कोई मायने नहीं रखती बल्कि वैज्ञानिक ही अपनी जांची-परखी सही राय दे सकते हैं. हाईकोर्ट जज कानून के बहुत अच्छे जानकार होते हैं लेकिन विज्ञान उनका क्षेत्र बिल्कुल भी नहीं है. जस्टिस शेखर कुमार की धारणा बचपन से परिवार में कही-सुनी जानेवाली बातों पर आधारित हो सकती है. यह भी हो सकता है कि हिंदुत्व की श्रेष्ठता को मानने और प्राचीन परम्पराओं में विश्वास करनेवालों के प्रभाव में आकर जज ने इस प्रकार की धारणा बना ली हो.

    यूरोप के वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय अपनी सांस और डकार से मिथेन गैस उत्सर्जित करती है. ऐसा कौन सा वैज्ञानिक है जो डंके की चोट पर बताए कि गाय ऑक्सीजन छोड़ती है. यदि ऐसा है तो गाय के तबेले से काम चल सकता है, ऑक्सीजन प्लांट की जरूरत ही क्या है? ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे कोरोना मरीज के आसपास 4-5 गाय खड़ी कर दी जाएं. उसे भरपूर ऑक्सीजन सप्लाई हो जाएगी. वेंटिलेटर की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. पंचगव्य सेवन से बीमार अच्छे हो जाते तो डाक्टरों की जरूरत ही क्या थी.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज यज्ञ में घी डालने से वर्षा होने के बारे में आपकी क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘तब तो दुनिया के ऐसे देशों में वर्षा नहीं होनी चाहिए जहां यज्ञ किया ही नहीं जाता. सभी जानते हैं कि समुद्र के पानी से बननेवाली भाप से बादलों की निर्मिती होती है और फिर वही बादल वर्षा करते है. सूर्य करोड़ों मील दूर है. घी की आहुति से सूर्य की किरणों को उर्जा मिलना व्यक्तिगत आस्था की बात हो सकती है. विज्ञान ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आस्था रखना सीखिए. जज के जजमेंट को बगैर कोई तर्क किए आंख मूंदकर स्वीकार कर लीजिए. यहां विज्ञान खत्म होता है, वहां भारत का अध्यात्म शुरू होता है.’’