कहीं छा न जाए मौन, शिवसेना की आवाज बुलंद करेगा कौन

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, शिवसेना के प्रवक्ता व सांसद संजय राऊत की गिरफ्तारी के बाद अब शिवसेना की आवाज कौन जोर-शोर से बुलंद करेगा? बीजेपी के शीर्षस्थ नेताओं का कौन तीखे शब्दों में विरोध करेगा? संजय राऊत शिवसेना के मुखपत्र, सोशल मीडिया और टीवी के खबरिया चैनलों से शिवसेना की भूमिका मजबूती से रखते थे.’’ 

    हमने कहा, ‘‘इसकी चिंता शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को करने दीजिए. आपको फिक्र करने की क्या जरूरत? जैसे कबड्डी के खेल में धाबा बोलने वाले खिलाड़ी को घेरकर चपलता से पकड़ा जाता है, वैसा ही संजय राऊत का हाल हुआ. संजय राऊत का दिल कहता होगा कि मेरी पीठ पर उद्धव का हाथ है, बाल ठाकरे की वैचारिक भूमिका है, असली हिंदुत्व की दावेदारी है, बीजेपी के पास क्या है? उधर बीजेपी का सटीक जवाब रहा होगा- हमारे पास ईडी है जो कि हर समय रेडी है. जो हमारे खिलाफ है वह माफ नहीं किया जा सकता.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, एक समय था जब बीजेपी और शिवसेना दोनों ही हिंदुत्व की डोरी से आपस में बंधे हुए थे. तब उनकी युति देखकर हमें फिल्मी गीत याद आता था- हम तुम चोरी से, बंधे एक डोरी से जइयो कहां से हुजूर!’’ हमने कहा, ‘‘सत्ता में वर्चस्व को लेकर वह प्यार का बंधन टूट गया. शरद पवार ने एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना का गठजोड तैयार कर महाविकास आघाडी बनाई.

    आघाड़ी के शिल्पकार पवार को संजय राऊत ने पूरा-पूरा साथ दिया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट के विधायकों व सांसदों का आरोप है कि राऊत शिवसेना की बजाय एनसीपी का एजेंडा चलाने में मददगार बने हुए थे. शिवसेना और बीजेपी की पुरानी युति वाली खीर में नमक डालने का काम संजय राऊत ने किया. वे बीजेपी के नेताओं को निशाना बनाते हुए पत्र परिषद लेते थे और तीखे बयान देते थे. अब उद्धव ठाकरे को ऐसा कहां मिलेगा?’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘जैसे राज कपूर की आवाज मुकेश को माना जाता था. वैसे ही उद्धव की आवाज संजय राऊत रहे हैं जो मराठी अस्मिता, हिंदुत्व, बाल ठाकरे की विरासत पर बोलते थे. अब अपने प्रश्नों के जवाब में ईडी उनकी आवाज सुनना चाहेगी.’’