सूर्यकुमार के बल्ले का प्रहार, 360 डिग्री का करते हैं वार

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि सूर्यकुमार यादव नए मिस्टर 360 डिग्री बन गए हैं जो मैदान के हर कोने में कुशलता से शॉट लगाते हैं. उन्होंने विकेट कीपर की बाईं ओर से एक छक्का जड़ा जो लाजवाब था. अंतिम ओवरों में उन्होंने गेंदबाज के एंगल का फायदा उठाते हुए अदभुत शॉट खेले. इसके अलावा उनके पास लॉफ्टेड कवर ड्राइव और सभी तरह के शॉट मौजूद हैं. उसके नाबाद 6 रन के बिना भारत 50 रन तक भी नहीं पहुंच पाता.’’ 

    हमने कहा, ‘‘खुद सलामी बल्लेबाज रह चुके और लिली, मार्शल ग्रिफिथ जैसे वेस्ट इंडीज के तेज गेंदबाजों का सामना कर चुके गावस्कर ने जब सूर्यकुमार की इतनी तारीफ की है तो कुछ बात जरूर होगी. सूर्यकुमार विलक्षण खिलाड़ी है जो अपने बल्ले से गेंद को किसी भी जगह भेज सकता है. गावस्कर के जमाने में सिर्फ टेस्ट क्रिकेट था. उस समय खिलाड़ी टिककर खेलते थे और कॉपी बुक स्टाइल पर चलते थे. विकेट से बाहर जानेवाली गेंद को छेड़ते नहीं थे. दिन भर में मुश्किल से 250 रन बन पाते थे. 5 दिनों का टेस्ट मैच फुर्सत से खेला जाता था. कितने ही मेडन ओवर जाते थे जिनमें एक भी रन नहीं बनता था.

    उस समय रेडियो पर क्रिकेट कमेंट्री आती थी. तब विजी (महाराजकुमार ऑफ विजयनगरम), पियर्सन सुरीटा, वीएम चक्रपाणी, शरदेंदु सान्याल जैसे कमेंटेटर हुआ करते थे. हिंदी में सुरेश सरैया आंखो देखा हाल सुनाते थे. आस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज खेली जाती थी तो सुबह 4 बजे कमेंट्री शुरू हो जाती थी. रेडियो के शार्टवेव पर आवाज ऊंची नीची आती थी. तब शोर मचने पर लोग अंदाज लगाते थे कि या तो खिलाड़ी आउट हुआ है या उसने चौका मारा है. तब सिक्सर बहुत रेयर था. सिर्फ सलीम दुर्रानी सिक्सर मारने के लिए जाना जाता था. हनुमंतसिंह का स्क्वेयर ड्राइव प्रसिद्ध था.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, 50 साल पुराना किस्सा मत सुनाइए. अब क्रिकेट में बहुत बदलाव आ गया है. घातक गेंदबाजी, तूफानी बल्लेबाजी और चीते जैसी चपलता से फील्डिंग होती है. जहां तक सूर्यकुमार की बात है, वो अपनी फिटनेस और एनर्जी लेवल बनाए रखने के लिए प्रोटीनवाली डाइट व हेल्थ सप्लीमेंट लेते हैं. कोहली ने यदि क्रिकेट को विराट बनाया तो सूर्यकुमार उसे नई रोशनी दे रहे हैं.’’