ड्रग्स कम लो या ज्यादा, नशा तो हमेशा घातक ही होता है

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज सामाजिक न्याय मंत्रालय ने न्याय की ऊंचाइयों को छूते हुए एक आला दर्जे की सिफारिश की है. उसने उदारता दिखाते हुए कहा है, कम ड्रग्स रखने और सेवन करने पर कोई सजा न दी जाए. इसे अपराध न माना जाए. यह न्याय मंत्रालय का नशेड़ियो के प्रति माननीय दृष्टिकोण है.’’ हमने कहा, ‘‘इससे तो ड्रग का नशा करनेवालों को और प्रोत्साहन व छूट मिल जाएगी. ड्रग्स की लत छूटना मुश्किल होता है. शुरुआत में कम मात्रा में नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले बाद में हाई डोज लेने लगते हैं. कोई ड्रग्स कम ले या ज्यादा, ड्रग्स तो आखिर ड्रग्स ही होते हैं.

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जो नशा करते हैं या जो उस पर निर्भर रहते हैं उनकी व्यथा समझिए. उनकी बॉडी का सिस्टम ड्रग्स की मांग करता है. नहीं मिली तो छटपटाने लग जाते हैं. आपने फिल्म ‘जांबाज’ में श्रीदेवी को ड्रग के इंजेक्शन के लिए तड़पते देखा होगा. फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा में जीनत अमान नशेड़ी हिफियों की संगत में झूमते हुए गाती है- दम मारो दम मिट जाए गम. थोड़ी सी मात्रा में किसी चीज का सेवन बुरा नहीं है. आपने गुलामअली की गजल सुनी होगी- थोड़ी-थोड़ी पिया करो.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आप नशाखोरी की वकालत मत कीजिए. नशा शरीर को खोखला और आत्मा को निर्बल बना देता है. पंजाब में ड्रग्स का जाल ऐसा फैला है कि सैनिक अधिकारी ने कहा कि आजकल यहां फौज में भर्ती करते समय अच्छी स्टैमिना रखने वाले जवान नहीं मिलते. उनका दम जल्दी फूल जाता है. यह ड्रग्स की वजह से है. इसके पीछे पाकिस्तान की साजिश् है जो अफगानिस्तान से ड्रग लाकर पंजाब में खपाता है. ड्रग सेवन करने वाला निकम्म और कमजोर हो जाता है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, निशानेबाज एकदम से नशा नहीं छूटता. उसकी व्यसन मुक्ति और पुनर्वास के लिए धैर्य रखना पड़ता है. इसीलिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने कहा कि नशे के पीड़तों को जेल की सजा न हो, इस उद्देश्य से एनडीपीएस एक्ट में सुधार किया जाए.’’