राणा दंपति की विपदा बड़ी, संकटमोचक ने नहीं टाली संकट की घड़ी

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, यह बताइए कि हनुमान चालीसा पढ़ने की इच्छा रखनेवाले क्यों मुसीबत में फंस रहे हैं? संकटमोचक हनुमान उनका संकट दूर क्यों नहीं करते? हनुमान चालीसा की पंक्ति है- संकट कटै, मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा. यदि ऐसी बात है तो राणा दंपति को जेल जाने की पीड़ा क्यों भोगनी पड़ रही है?’’ 

    हमने कहा, ‘‘आपकी जिज्ञासा हम समझ रहे हैं. जब हनुमान चालीसा में भक्ति की बजाय राजनीति और दिखावा आ जाए तो हनुमंत लाल कैसे प्रसन्न होंगे? प्रभु को पॉलिटिक्स नहीं, सच्ची श्रद्धा चाहिए. राणा दंपति को बजरंगबली की आराधना करनी थी तो मंगलवार का व्रत रखते. हनुमान को मीठे पुए, मीठी बूंदी या मोतीचूर के लड्डुओं का श्रद्धापूर्वक भोग लगाते और हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या हनुमान बाहुक का पाठ करते. यह सारी आराधना अपने निवास के पूजाघर में या किसी हनुमान मंदिर में जाकर करते तो उसका अनुकूल फल मिलता.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें प्रक्रिया या प्रोसेस की बात मत समझाइए. भगवान का नाम किसी भी काल में कहीं भी लिया जा सकता है. रामायण में ही कहा गया है- ‘कलियुग केवल नाम अधारा’ अर्थात कलियुग में केवल प्रभु के नाम का ही आधार है. जब माचिस की डिब्बी पर काड़ी रगड़ने से आग उत्पन्न होती है तो नाम का उच्चारण करने से भगवान को भी प्रसन्न होना चाहिए. राणा पति-पत्नी हनुमान चालीसा पढ़ने मुंबई गए तो राजद्रोह के मामले में फंस गए. ऐसा क्यों हुआ?’’ 

    हमने कहा, ‘‘कर्मों का फल मिलकर रहता है, इसे टाला नहीं जा सकता. कहा गया है- करम गति टारे नाहीं टरे. जब राणा दंपति के अमरावती शहर में अम्बा देवी माता का प्राचीन मंदिर है तो उतनी दूर जाकर मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की उन्होंने क्यों ठानी? नवनीत राणा सांसद हैं तो क्या संसद में जाकर हनुमान चालीसा पढ़ती हैं? 

    समय और स्थान का ध्यान भी रखना चाहिए. जिस समय प्रधानमंत्री मोदी दीनानाथ मंगेशकर अवार्ड लेने मुंबई आ रहे थे, तभी राणा दंपति वहां पहुंचे. इस मिसएडवेंचर का फल उन्हें मिला. हनुमान की कृपा से सुग्रीव को राजगद्दी और विभीषण को लंका का राजपाट मिला. राणा दंपति के भाग्य में जो था, वह उन्हें मिल गया. होनी को कौन टाल सकता है!’’