भाइयों में वर्चस्व की तकरार, पिता की संपत्ति पर पुत्र का अधिकार

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, किसी बादशाह के शाहजादों के बीच अपने पिता के तख्तोताज के लिए जंग होने के किस्सों से इतिहास भरा पड़ा है. आपको मालूम ही होगा कि शाहजहां के 4 बेटे दाराशिभोह, शुजा, मुराद व औरंगजेब किस तरह लड़ पड़े थे. हस्तिनापुर ने कौरव-पांडव के बीच महाभारत करवा दिया था. जर, जोस, जमीन का झगड़ा हमेशा से चला आ रहा है. 

    हमने कहा, ‘‘यहां इन चीजों की बात ही नहीं हो रही है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव के बेटों के बीच लालटेन को लेकर दावेदारी हो रही है. पिता की लालटेन पर बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने दावा किया है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज बिजली के युग में लालटेन का क्या काम? टिमटिमाती रोशनी वाली लालटेन की जरूरत उस समय थी जब गावों में बिजली नहीं पहुंची थी.’’ 

    हमने कहा, ‘‘अब भी बिहार के अनेक गांवों का यही हाल है. आजादी के 75वें वर्ष में भी बिहार पिछड़ा हुआ है. आप लालटेन को लालू और बिहार से जुदा नहीं कर सकते. लालटेन राजदका चुनाव चिन्ह है. तेजप्रताप ने एक नया संगठन ‘छात्र जनशक्ति परिषद’ बनाया और अपने इस संगठन का प्रतीक चिन्ह लालटेन बना लिया. एक तरह से तेजप्रताप पार्टी पर अपना दावा ठोक रहे हैं.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘लालटेन को लेकर भाइयों में छीना-झपटी होने दीजिए. जो ताकतवर होगा, वह कब्जा कर लेगा. वैसे बीजेपी इस टकराव का मजा ले रही है और भड़कती आग में हाथ सेंक रही है. बीजेपी का कहना है कि राजद पर तेजप्रताप का भी उतना ही हक है जितना तेजस्वी यादव का. ऐसे में तेजप्रताप के साथ पार्टी में जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, वह कतई ठीक नहीं है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘बिहार में नीतीशकुमार और बीजेपी की मिलीजुली सरकार के रहते लालटेन की बत्ती बुझ ग्ई है, तेल खत्म हो गया और कांच धुंधला पड़ गया है फिर भी लालू के लाल लालटेन को लेकर आपस में भिड़े हुए हैं.