कोहली की टीम का जोश ठंडा, क्रिकेट न जमे तो खेलो गिल्ली-डंडा

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, वर्ल्ड कप क्रिकेट के मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम जिस बुरी तरह पहले पाकिस्तान फिर न्यूजीलैंड से हार गई, यह देखकर हमें लग रहा है कि विराट कोहली अपना विराट रूप नहीं दिखा पा रहे हैं. बाकी खिलाड़ी भी ढीले साबित हो रहे हैं. लगता है भाग्य उनका साथ नहीं दे रहा है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘जिन्हें अपने पुरुषार्थ पर विश्वास होता है, वह किस्मत के भरोसे नहीं रहते. हमारे आचरण और कर्मों के अनुसार हमारे भाग्य का निर्धारण हम स्वयं करते हैं, न कि कोई अलौकिक शक्ति! भाग्य एक किताब है जिसमें लिखा तो है लेकिन बिना पढ़े न तो वह समझ में आएगी, न उसका ज्ञान मिलेगा. यह पढ़ना ही कर्म है, पुरुषार्थ है जिसे भाग्य की चाबी कह सकते हैं. कर्म सही दिशा में हों तो भाग्य का साथ मिलना ही है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आप जो कह रहे हैं, उस तरह की बातें टीम के मेंटोर महेंद्रसिंह धोनी को विराट कोहली को समझानी चाहिए. पाकिस्तान के हाथों 10 विकेट से पराजय और फिर न्यूजीलैंड के हाथों बुरी तरह हार देखते हुए भारत की सेमी फाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को झटका लगा है. हमारे नामी बल्लेबाज 2 फील्डरों के बीच गैप में से गेंद बाउंड्री तक नहीं पहुंचा पाते. 

    सिक्सर मारने की कोशिश में कैच दे बैठते हैं. विराट कोहली की टीम जिस लापरवाही से खेली, उस पर गौतम गंभीर की प्रतिक्रिया है कि टैलेंट तो है लेकिन जज्बा नजर नहीं आया. अब तो कोई चमत्कार या करिश्मा ही भारतीय टीम की इज्जत बचा सकता है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘अपनी टीम को मनोबल जुटाने की जरूरत है. लक्ष्य पैरों में पहने हुए जूतों के बल पर नहीं मिलता, बल्कि उस तक सिर्फ अपने दृढ़ संकल्प और साहसिक कदमों से ही पहुंचा जा सकता है. सफलता का रास्ता कोई केक वॉक नहीं है. यह रास्ता प्रयास, मेहनत, पुरुषार्थ और पराक्रम की सीढ़ियों से होकर जाता है. ऋग्वेद में कहा गया है कि समर्थ बनो, अपने कार्य को पूरा करो और लक्ष्य पाने तक चलते रहो. हौसला मजबूत हो तो फैसला अपने पक्ष में आता है.’’