पॉवर की यही डिमांड, पंजाब जीतकर केजरी बने हाईकमांड

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जब नेता राजनीति का पत्ता सही तरीके से चलते हैं तो उनके हाथ सत्ता आ जाती है. प्रभावशाली नेता जानता है कि अपने पॉवर को कैसे और कहां यूज किया जाए. वह अपनी सियासत और जागीरदारी की रखवाली करता है. उसका रवैया यही रहता है कि जलने वाले जला करें, दुनिया हमारे साथ है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आप भूमिका बहुत बांधते हैं. सीधे मुद्दे पर आइए. आखिर आप किस नेता का जिक्र कर रहे हैं?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यह कथा है केजरीवाल की! उनका पूरा होता जा रहा हर ख्वाब, दिल्ली के बाद जीत लिया पंजाब. इसके बाद उनका निश्चय है अटल, जीतना चाहेंगे हरियाणा और हिमाचल. अभी केजरीवाल की पोजीशन आम आदमी पार्टी हाईकमांड की हो गई है. 

    वे रिमोट कंट्रोल से पंजाब को चला रहे हैं. आप तो जानते हैं कि मोदी का गुजरात मॉडल है तो केजरीवाल का दिल्ली मॉडल! केजरीवाल ने दिल्ली में पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और पंजाब बिजली विभाग के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक की. जब केजरीवाल पंजाब के शीर्ष अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे तो पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान वहां मौजूद नहीं थे.’’ 

    हमने कहा, ‘‘इसकी जरूरत भी नहीं थी. ‘आप’ के सर्वोच्च नेता केजरीवाल दिल्ली में बैठकर पंजाब का शासन अपने तरीके से चला सकते हैं. उन्होंने पंजाब के विद्युत विभाग के शीर्ष अधिकारियों को समझाया होगा कि दिल्ली के समान पंजाबवासियों को भी 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त दो. उन्होंने पंजाब के मुख्य सचिव को वह सारी योजनाएं लागू करने को कहा होगा जो दिल्ली में लागू की गई हैं.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ऐसा ही चलता रहा तो पंजाब की हर फाइल केजरीवाल ही क्लीयर किया करेंगे और मान डमी सीएम बनकर रह जाएंगे. क्या यह उचित है? पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू ने मान की गैरमौजूदगी में आईएएस अधिकारियों को दिल्ली बुलाने की आलोचना कर इसे संघवाद (फेडरलिज्म) और पंजाब का अपमान बताया.’’ हमने कहा, ‘‘हाईकमांड पूरे हक के साथ ऐसा ही करता है. जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी तब भी तो हर फाइल पहले सोनिया गांधी के पास 10,जनपथ भेजी जाती थी.’’