आम जनता की यही आवाज खत्म हो भ्रष्टाचार का राज

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आम तौर पर नेता देश के उद्योगपतियों से वादा करते हैं कि उन्हें उद्योग-व्यापार में सहूलियत दी जाएगी और इंस्पेक्टर राज खत्म किया जाएगा. हमें बताइए कि क्या ऐसा कर पाना संभव है?’’

    हमने कहा, ‘‘समझ में नहीं आता कि नेता ऐसे वादे क्यों करते हैं जिन्हे पूरा नहीं किया जा सकता! इस तरह के वादे सिर्फ तसल्ली देने के लिए होते है. उनकी कीमत गुड़ की जलेबी से ज्यादा नहीं होती.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सरकार चाहे तो देश के तमाम इंस्पेक्टरों के लिए वीआरएस योजना लागू कर दे. पुलिस, एक्साइज, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स के जितने भी इंस्पेक्टर हैं, उनसे कहा जाएगा कि भइया जाओ, अब तुम्हारा राज खत्म हो गया.’’

    हमने कहा, ‘‘यह इतना आसान नहीं है. आजकल किसी सरकारी कर्मचारी को नौकरी से हटाओ तो वह मैट-कैट जैसी अदालतों में चला जाता है. वहां से स्टे मिल गया तो कोई इंस्पेक्टरों को हिला भी नहीं सकता. सवाल यह भी है कि इंस्पेक्टर राज हटाने से पहले सरकार को तय कर लेना चाहिए कि वह किस का राज लाना चाहती है. यदि किसी का राज नहीं रहेगा तो अराजकता छा जाएगी.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारे यहां हमेशा किसी न किसी का राज बना रहता है. पहले राजा-महाराजाओं का राज था. फिर मुगलों का और बाद में अंग्रेजों का राज आया. आजादी के बाद स्वराज आया. इसे प्रजा का राज या लोकतंत्र कहते हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘इतनी हिस्ट्री बताने की जरूरत नहीं है. महात्मा गांधी ने रामराज लाने का स्वप्न देखा था. चूंकि राम त्रेता युग में हुए थे इसलिए कलियुग में रामराज नहीं लाया जा सकता. इन दिनों देश में कहीं माफिया राज है तो कहीं गुंडा राज. कहीं भ्रष्टाचारियों का राज है तो कही रिश्वतखोरों का राज. चुनाव के समय विपक्ष के नेता-कार्यकर्ता नारा लगाते हैं- तख्त बदल दो, ताज बदल दो, बेईमानों का राज बदल दो.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, भ्रष्ट व्यवस्था या करप्ट सिस्टम बदलना आसान नहीं है. यदि इंस्पेक्टर राज हटेगा तो उसकी जगह वलदार राज आ जाएगा.’’