चूहे भगाने वाली मशीन के शोर से परेशान नींद नहीं ले पा रहे जगन्नाथ भगवान

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में चूहे धमाचौकड़ी मचाते हैं और भगवान की माला और वस्त्र भी कुतर लेते हैं. मंदिर के गर्भगृह में गंदगी भी करते हैं. उन्हें भगाने के लिए ऐसी मशीन लगाई गई थी जिसकी ध्नि तरंगों सेपरेशान होकर चूहे मंदिर से दूर चले जाए. मंदिर के सेवादारों ने शिकायत की कि रात भर इस मशीन से अजीब सी भनभनाहट की आवाज आती है जिसकी वजह से भगवान रात में सो नहीं पाते. मंदिर प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया और मशीन को तुरंत हटा दिया.’’

हमने कहा, ‘‘जहां तक चूहों की धमाचौकड़ी की बात है, जहां खाद्यसामग्री होगी वहां चूहे जा पहुंचते हैं. कुछ न मिले तो भी अन्य चीजों को कुतरकर रख देते हैं. राजस्थान में करवरीमाता का मंदिर सफेद चूहों की भरमार के लिए जाना जाता है. दर्जनों चूहे एक साथ परात में रखा दूध पीते नजर आते हैं. कहते हैं कि सफेद चूहे छोड़ दो तो उनसे डरकर काले चूहे भाग जाते हैं. जगन्नाथ मंदिर में यह प्रयोग करके देखा जा सकता है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज मंदिर के प्रशासन ने अब चूहे पकड़ने की नई तरकीब सोची है. मंदिर में जगह-जगह गुड डालकर ऐसे घड़े रखे जाएंगे जिनका मुंह सुराही से भी संकरा हो. चूहे गुड़ खाने किसी तरह भीतर घुस तो जाएंगे लेकिन उनके कान फंस जाने सेबाहर नहीं निकल पाएंगे. फिर उन्हें कहीं दूर ले जाकर छोड़ दिया जाएगा.’’

हमने कहा, ‘‘चूहा या मूषक गणेशजी का वाहनहोता है. आरती में पंक्ति है- मस्तक सिंदूर सोहे मूस की सवारी! कहते है चूहे की वजह से ही आर्यसमाज का जन्म हुआ. आर्यसमाज प्रवर्तक महर्षि दयानंद सरस्वती के बचप का नाम मूलशंकर था. तब उन्होंने शिवरात्रि को रातभर जागरण किया. उन्होंने देखा कि एक चूहा शिवलिंग पर चढ़कर प्रसाद खा रहा है. तभी से उन्हें मूर्ति पूजा के प्रति अनास्था हो गई कि वे कैसे भगवान है जो चूहे को भी नहीं भगा पा रहे हैं. इसके बाद उन्होंने वेदों का गहन अध्ययन कर जातिविहीन आर्य समाज की स्थापना की जिसमें मूर्तिपूजा कानिषेध किया गया है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज हमने किसी का हक हड़पने वाले के लिए कहावत सुनी है कि चूहा बिल बनाता है और सांप उसमें रहने आ जाता है.’’