वैक्सीन ने दी शक्ति खत्म हो गई सख्ती मास्क से मिली मुक्ति

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र मास्क मुक्त हो गया. 736 दिनों के बाद यह शुभ घड़ी आई. अब भूल जाओ कोरोना का दुखड़ा, साफ-साफ नजर आएगा हर मुखड़ा. किसी को कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी- रुख से जरा नकाब उठा दो मेरे हुजूर! एक फिल्म आई थी जिसका नाम था- लिपस्टिक अंडर माय बुर्का. अब लाल लिपस्टिक लगे होंठ कुछ ऐसे दिखेंगे जैसे कोई बिल्ली चूहा खाने के बाद दिखती है.’’

    हमने कहा, ‘‘मास्क लगाना या न लगाना ऐच्छिक हो गया है. आपकी मर्जी हो तो लगाइए, कोई मना करने वाला नहीं है. दिल्ली में धूल, धुएं और जहरीली हवा के प्रदूषण से बचने के लिए कितने ही लोग पहले ही मास्क लगाते रहे हैं. जिसे घर से निकलते समय मास्क लगाने की आदत पड़ चुकी है, वह अभी भी उसे लगाएगा. इसकी वजह से गर्म हवा के थपेड़े उसकी नाक में नहीं घुसेंगे. स्कूटी चलाने वाली लड़कियां वैसे भी दुपट्टे या चुन्नी से सिर और चेहरा ढंक लेती हैं और आंखों पर गॉगल लगा लेती हैं. स्किन का टोन न बिगड़ने पाए, इसलिए ऐसा करती हैं. जिस जमाने में दुपट्टा इस तरह नहीं बांधा जाता था, तब हीरोइन गाती थी- हवा में उड़ता जाए, मेरा लाल दुपट्टा मलमल का, हो जी-हो जी!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पता नहीं फिल्म बनाने वालों को दुपट्टा क्यों पसंद है और वह भी खास तौर पर लाल रंग वाला! अब भी शादियों में बैंड वाले- लाल दुपट्टे वाली तेरा नाम तो बता, गाने की धुन बजाते हैं. जहां तक मास्क का सवाल है, हमने कितने ही मास्क देखे हैं जैसे कि मृत्युंजय या फैंटम का मास्क! फ्लैश गार्डन का मास्क और रितिक रोशन का फिल्म क्रिश वाला मास्क. होली के मौके पर भी बच्चे मुखौटा लगाते हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘जनता की भलाई के नाम पर लुभावने वादे कर चुनाव जीतने वाले नेताओं का मास्क उतरकर उनका असली चेहरा सामने आ रहा है. वहां महंगाई की क्रूरता और प्रतिशोध की राजनीति नजर आ रही है. उनका नकाब उतर जाने से अब आप आसानी से उनकी फेस रीडिंग कर सकते हैं.’’