विपश्यना ने सिखाया सेंस राहुल ने रखा ED के सामने पेशेंस

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हम कभी-कभी थकावट महसूस करते हैं. लगता है विटामिन, मिनरल या प्रोटीन की कमी से ऐसा होता है. सोचते हैं कि कोई अच्छा सा हेल्थ ड्रिंक पी लिया करें.’’

    हमने कहा, ‘‘उससे कुछ नहीं होगा. मन को मजबूत कीजिए, संयम रखिए और एकाग्रता बढ़ाइए क्योंकि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत! देखिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मन कितना मजबूत है. उनमें धैर्य, संयम, सब्र कूट-कूट कर भरा हुआ है. राहुल ने बताया कि ईडी के कार्यालय में उनसे 5 दिनों में 54 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई. अंतिम दिन ईडी अधिकारियों ने पूछा कि लगातार 11 घंटे पूछताछ करते हुए हम थक जाते हैं लेकिन आप बिल्कुल नहीं थके, इसका रहस्य क्या है?

    आप इतना संयम कैसे रख पाते हैं? आपको इतना पेशेंस कहां से आता है? राहुल ने अधिकारियों को इसका कोई उत्तर नहीं दिया. बाद में राहुल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें विपश्यना साधना की आदत पड़ चुकी है, इसलिए शांत और आत्मकेंद्रित रहकर पेशेंस बनाए रखते हैं और विचलित नहीं होते. उन्होंने आगे कहा कि जानते हो यह पेशेंस कहां से आया? कांग्रेस पार्टी में 2004 से काम कर रहा हूं. पेशेंस नहीं आएगा तो क्या आएगा? देखो सचिन पायलट बैठे हुए हैं, सिद्धारमैया बैठे हैं, रणदीप सुरजेवाला पेशेंस से बैठे हुए हैं. यह जो हमारी पार्टी है, यह हमें थकने नहीं देती. यह रोज पेशेंस सिखाती है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कांग्रेस के पेशेंस की दाद देनी होगी. राज्यों में सरकार गिरती रही, बुरी तरह चुनाव हारते रहे लेकिन पेशेंस से काम लिया. लोकसभा में विपक्ष का अधिकृत दर्जा नहीं मिला तो भी पेशेंस! ऐसी ही पेशेंस बनी रही तो 2024 या 2029 का चुनाव भी नहीं जीत पाएंगे. पेशेंस, संयम या धैर्य की एक लिमिट होती है. भगवान राम ने भी 3 दिन पेशेंस रखकर समुद्र से रास्ता देने की विनती की थी. जब वह नहीं माना तो राम को धनुष-बाण उठाना पड़ा. महात्मा गांधी ने भी जब देखा कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह से अंग्रेज नहीं मान रहे हैं और सीधी उंगली से घी नहीं निकल रहा है तो उन्होंने 1942 में देशवासियों को करो या मरो (डू ऑर डाई) का नारा दे दिया. राहुल भी सोचें कि वो कब तक संयम रखना चाहेंगे?’’