परिधान पर कैसी रोकटोक, समीर को शानदार कपड़ों का शौक

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, निशानेबाज, एनसीपी नेता व मंत्री नवाब मलिक ने एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के राजसी ठाट-बाट को लेकर आलोचना की है कि एक सरकारी अधिकारी के पास इतना पैसा कहां से आता है कि वह लाखों रुपए के पैंट, शर्ट और घड़ियां पहनता है. मलिक ने पूरा लेखा-जोखा बताते हुए कहा कि एक अधिकारी 1 लाख रुपए का पैंट, 70,000 रुपए से अधिक की कमीज और 25-50 लाख रुपए की घड़ियां कहां से पहन सकता है? इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’’ 

    हमने कहा, ‘‘कौन क्या खाता-पीता या पहनता है, यह उसके पर्सनल मामला है. किसी की व्यक्तिगत जिंदगी या पसंद-नापसंद में ताकझांक क्यों की जानी चाहिए. लोग अपनी मर्जी से जो चाहे पहन सकते हैं. साउथ के नेता लुंगी पहनते हैं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भगवा पहनते हैं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी हमेशा सफेद साड़ी पहनती है. पीएम मोदी आधी बांह वाला कुर्ता पहनते हैं.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सवाल बेहद महंगी वेशभूषा का है. समीर वानखेड़े की पोशाक की आड़ में मलिक ने आरोप लगाया कि उन्होंने गलत तरीके से लोगों को फंसाकर करोड़ों रुपए की वसूली की है.’’ हमने कहा, ‘‘अगर समीर प्रेजेंटेबल और सलीके से रहते हैं तो ऐसे वेल ड्रेस्ड मैन की तारीफ करनी चाहिए. वे अपने ड्रेस सेन्स या वार्डरोब को लेकर लापरवाह नहीं है. शौकीन होना और शान से रहना गुनाह नहीं है. यह पसंद अपनी-अपनी, खयाल अपना-अपना का मामला है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, वस्त्र हमेशा से चर्चा में रहे हैं. भारत के रेशमी परिधान रोम का शासक वर्ग पहना करता था. प्राचीन भारत में मथुरा और रोम के बीच सिल्क रुट था. मोतीलाल नेहरू के बारे में अफवाह प्रचलित थी कि उनके कपड़े पेरिस से धुलकर आते हैं. प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की शेरवानी पर फिकरा कसते हुए समाजवादी नेता डा. राममनोहर लोहिया ने उसे शाहजहां के तबलचियों की पोशाक कहा था. 

    जब नेहरू 1949 मेंपहली बार अमेरिका यात्रा पर गए थे तो उनका चूड़ीदार पायजामा देखकर अमेरिकी हैरत में पड़ गए थे. उन्हें लगा कि वे ठंडे मुल्कों में पैंट के नीचे पहना जानेवाला ‘इनर’ पहनकर घूम रहे हैं. पोशाक हमेशा से ही लोगों की निगाहों में रही है.