भविष्य देखने पर विवाद क्यों कौन नहीं जानना चाहता

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जब किसी नेता को अपनी कुर्सी हिलती नजर आती है तो वह किसी पहुंचे हुए ज्योतिषी की शरण लेता है. उसे उम्मीद रहती है कि ज्योतिषी उसका भविष्य बताएगा और यदि कोई विघ्न-बाधा के संकेत दिखाई दिए तो निवारण के उपाय भी सुझाएगा.’’

    हमने कहा, ‘‘ज्योतिषी पर कौन विश्वास नहीं करता! लोग शिशु जन्म पर उसकी कुंडली बनवाते हैं. विवाह प्रस्ताव आने पर भी लड़के-लड़की की कुंडली मिलाई जाती है. ज्योतिष को पंचम वेद कहा गया है. लोग नौकरी, प्रमोशन, शादी, मुकदमेबाजी, व्यापार जैसी सभी बातों को लेकर ज्योतिषी की राय लेते हैं. इसलिए किसी नेता के भविष्य देखने पर विवाद क्यों होना चाहिए. राहू को लोग दुष्ट ग्रह मानते हैं लेकिन कितने ही बड़े नेताओं की कुंडली में बृहस्पति के साथ राहू भी प्रबल होता है जो उन्हें ताकतवर, सफल और संपन्न बना देता है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अचानक कैबिनेट की बैठक रद्द कर अपना और सरकार का भविष्य जनने सिन्नर तहसील के मीरगांव स्थित ईशानेश्वर मंदिर पहुंचे. उन्होंने मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष कॅप्टन अशोक खरात से भविष्य पूछा. खरात जानेमाने अंकशास्त्री या न्यूयरोलॉजिस्ट हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘भविष्य के गर्भ में क्या है, इसे जान पाना आसान नहीं है. बड़े-बड़े ज्ञानी भी इसमे चूक जाते हैं. कहते हैं- विश्वामित्र मुनि अति ज्ञानी रूचि-रूचि लगन रखी. विश्वामित्र ने राम-सीता का विवाह करवाया लेकिन राम को वनवास, सीता हरण जैसी विपरीत स्थितियां आईं. कुछ लोग कुंडली नहीं मिलाते फिर भी उनका विवाह सफल रहता है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, नेताओं का विवाह सत्ता सुंदरी से होता है. इसलिए उन्हें ज्योतिषी के पास जाने की ज्यादा फिक्र होती है. पूर्व मुख्यमंत्री स्व. विलासराव देशमुख भी इंदौर के भय्यूजी महाराज से अपना भविष्य पूछा करते थे. सीएम शिंदे भी संकटों से घिरे हैं. सरकार के अंदर बीजेपी के साथ खटपट चल रही है जिससे शिंदे पर भारी दबाव है. कर्नाटक के सीएम बोम्मई ने सांगली जिले के 40 गांव छीनने का दावा कर शिंदे का सिरदर्द बढ़ाया है. अनिश्चितता के दौर में शिंदे का ज्योतिषी के पास जाना लाजिमी है.’’