ABVP कार्यकर्ताओं की ननो से ज्यादती शाह की चुनावी नाराजगी

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    बगैर सोचे-समझे और बिना किसी जांच पड़ताल के, अति उत्साह में की गई एबीवीपी कार्यकर्ताओं की हरकत सरासर नादानी साबित हुई. जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, इस प्रकार के कार्यकर्ता कभी गोरक्षा तो कभी लव जिहाद या फिर धर्मांतरण के मुद्दे पर विशेष सक्रियता दिखाने लगे हैं. यदि कोई ठोस सबूत या आधार मौजूद हो तो बात अलग है लेकिन बेबुनियाद शक करते हुए एक्शन लेने में कौन सा औचित्य है? दिल्ली से राउरकेला जा रही उत्कल एक्सप्रेस (Utkal Express) में प्रवास कर रही केरल की 2 ननों (Nuns) व 2 किशोरियों को उसी ट्रेन में सफर कर रहे अ.भा. विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता अजय शंकर तिवारी (Ajay Shankar Tiwari) की शिकायत पर झांसी (Jhansi) स्टेशन पर उतार लिया गया.

    तिवारी को शक था कि इन किशोरियों को धर्मांतरण के लिए ले जाया जा रहा है. उसने फोन पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं और हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को बुलवा लिया और जीआरपी थाने में शिकायत की. पुलिस ने ननों व किशोरियों से पूछताछ की व दस्तावेजों की जांच की तो शिकायत को बेबुनियाद व झूठा पाया और कोई केस दर्ज नहीं किया. ऐसे मौके पर जब केरल में विधानसभा चुनाव का माहौल है, एबीवीपी कार्यकर्ता (ABVP Workers) की ऐसी अति सक्रियता बीजेपी के लिए नुकसानदेह हो सकती है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे गंभीरता से लिया और केरल की चुनावी रैली में आश्वासन दिया कि केरल की 2 नन व 2 लड़कियों के साथ हुई बदलसलूकी के मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी तथा उन्हें न्याय के शिकंजे में लाया जाएगा. यह मामला ईसाई बहुल केरल के लिए संवेदनशील था. केरल कैथोलिक बिशप काऊंसिल ने इस घटना पर चिंता जताई है.