ओशो के आश्रम में सजता था ‘सेक्स बाज़ार’, ऐसा रहा सेक्स, अध्यात्म और झूठ का सच

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अपने भक्तों के बीच ‘भगवान ओशो’ (God Osho) कहलाने वाले चन्द्र मोहन जैन का दिसंबर 11, 1931 को कुच्वाडा, मध्यप्रदेश में हुआ था।अपनी अद्वितीय बौद्धिक प्रतिभा से देश ही नहीं दुनियाभर में अध्यात्म के माध्यम से एक करने वाले महान दार्शनिक आचार्य रजनीश चंद्र मोहन (ओशो) (Rajneesh Chandra Mohan) (Osho)के नाम से प्रसिद्धि मिली। वे  अपने 11 भाई बहनों में वे सबसे बड़े थे। उनके माता का नाम ‘सरस्वती जैन’ और पिता का नाम ‘बाबूलाल जैन’ था। उनके पीर एक कपड़ों के व्यापारी थे। उन्होंने अपना बचपन अपने दादा-दादी के साथ बिताया।

पुनर्जन्म की कहानी

माना जाता है कि, ओशो ने अपने दोस्त अरविंद जैन को अपने पुनर्जन्म की कहानी बताई थी। उन्होंने बताया कि, मेरा यह पुनर्जन्म हुआ है, मैं आज से 750 साल पहले तिब्बत में पैदा हुआ था और सिर्फ तीन दिन की साधना रहा गई थी, तभी मेरी मौत हो गई, जिसके कारण मुझे दोबारा जन्म लेना पड़ा।

ना आवाज निकली, ना ही रोए  थे  

उन्होंने अपने दोस्त को यह भी बताया कि जब वे पैदा हुए तो न तो रोए थे, और न ही आवाज आई। पैदा होने के तीन दिन बाद तक ओशो न तो रोए ओर न ही मुहं से कोई आवाज निकली तो सब चौंक गए। उन्होंने मां का दूध पिया। जिसके बाद घरवालों ने एक वैद्य को बुलाया। ओशो को वैद्य ने देखा तो सब सामान्य था।

शिष्या ने खोले थे अनछुहे पहलु 

ओशो को लेकर उनकी शिष्या और प्रेमिका मां आनंद शीला ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ओशो के आश्रम से 55 मिलियन डॉलर का घपला करने के बाद शीला 39 महीनों तक जेल में रहीं। जेल से निकलने के करीब 20 साल बाद शीला ने  रीलीज हुई अपनी किताब ‘डोंट किल हिम! ए मेम्वर बाई मा आनंद शीला’ में अपने गुरू से जुड़े कई अनछुहे पहलुओं को सामने रखा है।

एक महीने में 90 लोगों के साथ सेक्स

शीला ने अपनी किताब में लिखा है था कि, ओशो के आश्रम में अध्यात्म के नाम पर सेक्स का बाजार लगता है। शिविरों में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय सेक्स होता है। भगवान ओशो अपने भक्तों को बताते थे कि, सेक्स इच्छा को दबाना कई कष्टों का कारण है इसलिए इसे दबाना नहीं चाहिए। उनके सभी भक्त बिना किसी हिचकिचाहट और नैतिक दबाव के आश्रम में खुलेआम सेक्स करते थे। आश्रम का हर संन्यासी एक महीने में करीब 90 लोगों के साथ सेक्स करता था।

30 रॉल्स रॉयस गाड़ियों की मांग

सबकुछ ओशो के मन-मुताबिक होने के बावजूद खुश नहीं थे। भगवान अब बोर हो चुके थे। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें एक महीने में 30 नई रॉल्स रॉयस गाड़ियां चाहिएं, जबकि उनके पास उस समय 96 नई रॉल्स रॉयस कारें थीं।  30 नई रॉल्स रॉयस कारों का मतलब था करीब 3 से 4 मिलियन डॉलर। इतनी बड़ी रकम सिर्फ आश्रम के बजट में कटौती करके ही जुटाई जा सकती थी, लेकिन भगवान ओशो ने मुझे पैसे जुटाने के लिए 50-60 आमिर लोगों के नाम की लिस्ट दी, जो काफी पैसेवाले थे।