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    पाकिस्तान में कुछ फैसले बिल्कुल बेतुके होते हैं. इस तरह के फैसले कुछ यूं होते हैं कि चोट सिर में लगे तो पैर पर पट्टी बांध दी जाए. वहां के सिंध प्रांत में नाबालिगों को दुष्कर्म से बचाने के लिए एक अजीबोगरीब विधेयक पेश किया गया. यदि असेम्बली में इस विधेयक को मंजूरी मिल जाती है तो 18 वर्ष की उम्र वालों को शादी करना अनिवार्य कर दिया जाएगा. 18 साल की हो जाने पर भी यदि शादी नहीं हुई तो उपायुक्त के सामने देरी का उचित कारण बताते हुए हलफनामा पेश करना होगा.

    एफिडेविट पेश न करने पर जुर्माना किया जाएगा. सिंध प्रांत सरकार हिंदू लड़कियों के अपहरण, दुष्कर्म व धर्मांतरण कर जबरन निकाह पर रोक नहीं लगा पाई. उसकी पुलिस भी इस मामले में निष्क्रिय है. अपनी विफलता को छुपाने के लिए वहां 18 साल की उम्र में निकाह का कानून बनाया जा रहा है. इससे लड़कियों की जल्दी शादी हो जाएगी और वे आगे पढ़ नहीं पाएंगी. दुष्कर्मी तो किसी को भी शिकार बनाते हैं. 18 वर्ष वाले कानून से वे कहां सुधरने वाले हैं! सिंध सरकार को यौन अपराधों के मामले में सख्ती दिखानी चाहिए. उसका कानून अपहरण व दुष्कर्म होने पर अभिभावकों को ही दोषी मानेगा कि उन्होंने 18 साल की उम्र होने पर भी लड़की की शादी क्यों नहीं की?