अभंग-भजन प्रतियोगिता में भंडारा जेल के बंदियों की भागीदारी

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    • लोगों में अच्छे विचार बोएं: लक्ष्मीकांत खाबिया

    ‘दुनिया से प्यार करना ही सच्चा धर्म’

    ‘खरा तो एकची धर्म जगाला प्रेम अर्पावे’

    भंडारा. संत चोखामेला ने कहा था, “बुरे विचारों से घृणा करो, लोगों को अछूत का व्यवहार मत करो.” जो मनुष्य को अछूत का व्यवहार करता है, उसे अपनी जीवन यात्रा में कम सफलता मिलती है. लेकिन जो लोगों में अच्छे विचार बोता है, अच्छे विचारों का आदान-प्रदान करता है, वही व्यक्ति अपने जीवन के पथ पर सफलतापूर्वक चलता रहता है. अच्छे विचारों के साथ जेल से बाहर निकलो; एक नया जीवन शुरू करें, यह बात शरद क्रीड़ा और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत खाबिया ने कही. वे स्थानीय जिला कारागृह में बंदियों को संबोधित कर रहे थे.

    देश की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव और शरद क्रीड़ा और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित किए गए जगद्गुरु श्री संत तुकाराम महाराज राज्य स्तरीय अभंग एवं भजन प्रतियोगिता के तहत भंडारा पहुंचे थे. भंडारा मध्यवर्ती कारागृह के वर्ग 1 में आयोजित प्रतियोगिता में बंदियों ने भाग लिया और ‘ ‘तूच सुखकर्ता तूच दुखहर्ता’, ‘मनी नाही भाव देवा मला पाव’, ‘विठ्ठल नामाची शाळा भरली’, ‘खरा तो एकची धर्म जगाला प्रेम अर्पावे’ जैसी रचनाओं को प्रस्तुत किया. लक्ष्मीकांत खाबिया ने बंदियों से बातचीत की.

    वरिष्ठ कारागार अधीक्षक अमृत आगाशे, कारागार अधिकारी बी. आर. चोपकर, जेल अधिकारी एस. पी. क्षीरसागर, पुलिस स्टाफ सोमेश निंबारकर, सचिन अाटे, भंडारा भजन प्रतियोगिता प्रमुख रोशन खोब्रागड़े, प्रतिष्ठान भंडारा जिला अध्यक्ष नारायण जुआर, संगीत शिक्षक राजीव नानोटी, शरद क्रीड़ा और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान अध्यक्ष और प्रतियोगिता प्रमुख लक्ष्मीकांत खाबिया, उपाध्यक्ष नंदकुमार बंड,  अच्युत महाराज कुलकर्णी ज्ञानेश्वर शिंदे, ट्रस्टी विवेक थिटे, संजय मिसाल, शंकर धूमल आदि उपस्थित थे.

    अच्छे विचारों का संरक्षण

    इस अवसर पर संबोधित करते हुए कारागार अधीक्षक अमृत आगाशे ने कहा कि यदि आत्मा परमात्मा से मिलना चाहती है, तो अध्यात्म के अलावा और कोई साधन नहीं है.  बुरे विचारों को दूर करने और अच्छे विचारों को संरक्षित करने के लिए भजन और विट्ठल का नामस्मरण उपयोगी हो सकता है. इसलिए बंदियों के लिए संस्था द्वारा आयोजित भजन एवं अभंग प्रतियोगिता उपयोगी साबित हो सकती है.

    अच्छे विचारों का सफर जारी रहेगा : कैदियों ने दी प्रतिक्रिया

    प्रतियोगिता के अवसर पर जेल के कैदियों ने भजन प्रतियोगिता की पहल पर अपनी प्रतिक्रिया दी. योगेश बैद ने कहा कि जेल आने के बाद से वह सो नहीं पा रहे थे. अब हमें अच्छी और चैन की नींद आ रही है, क्योंकि अब हम विट्ठल विट्ठल नाम जप रहे है. महेश निंभोरले ने कहा कि प्रतियोगिता की वजह से जेल में भक्तिमय वातावरण बना दिया है. मेरे अपने आचरण और सोच में सकारात्मकता आयी है. जबकि सोमेश्वर पारधी ने कहा कि भजन प्रतियोगिता और विट्ठल नामस्मरण की वजह से अच्छे विचारों ने कब बुरे विचारों का स्थान ले लिया, पता ही नहीं चला. प्रतिस्पर्धा के कारण अच्छी सोच का सफर यूं ही चलता रहेगा.

    विजेताओं को ट्राफी और प्रमाण पत्र

    ग्रैंड फिनाले में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम को ज्ञानोबा-तुकाराम ग्रैंड ट्रॉफी और सर्टिफिकेट, दूसरे स्थान पर आने वाली टीम को राष्ट्रसंत टुकडोजी महाराज ग्रैंड ट्रॉफी और सर्टिफिकेट और तीसरे स्थान पर आने वाली टीम को संत शेख मोहम्मद ग्रैंड ट्रॉफी और सर्टिफिकेट से सम्मानित किया जाएगा. प्रतिभागियों और प्रतिस्पर्धी टीमों को भागीदारी का प्रमाण पत्र दिया जाएगा.

    स्व. कमलाबाई  धारीवाल  स्मृति में टीमों को साहित्य भेंट

    प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए श्रीमती दीना और प्रकाश धारीवाल की ओर से स्व. कमलाबाई रसिकलाल धारीवाल  की स्मृति में हारमोनियम, तबला, पखवाज, 10 जोड़ी ताल, संत तुकराम के अभंग की बडी फ्रेम एवं प्रबोधनात्मक एवं प्रेरणादायी की 82 पुस्तकों का एक सेट दिया गया.