9 संतानों पर मारा ताना लालू के नौनिहालों पर नीतीश का निशाना

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), लालूप्रसाद यादव( Lalu prasad) के बड़े परिवार को लेकर नीतीश कुमार ने छींटाकशी की है. उन्होंने कहा कि लालू को अपनी बेटियों की क्षमता पर विश्वास नहीं था, इसलिए 7 बेटियों के पिता होने के बाद भी वे बेटे की चाहत लेकर संतानोत्पत्ति करते रहे. उनकी कुल 9 संतानें हैं.’’ हमने कहा, ‘‘तेजस्वी (RD leader Tejashwi Yadav) जैसे सूरमा का तभी तो धरती पर पदार्पण हुआ. नवें नंबर के नौनिहाल तेजस्वी नीतीश को टक्कर देते हुए अपने परिवार को निहाल कर रहे हैं. परिवार नियोजन की धारणा तो बाद में आई, पहले भरे-पुरे परिवार रहा करते थे. ऐसे पुराने परिवारों में 7-8 संतानें होना सामान्य बात थी. पहले लोगों का दिल और परिवार दोनों बड़े हुआ करते थे.

कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में मैनपावर लगता था इसलिए परिवार में ज्यादा सदस्यों की आवश्यकता होती थी. खेती सभी का पेट भरती थी. कभी लड़ाई-झगड़ा होता था तो लोग बड़े परिवार वाले से डरते थे कि उसके यहां से अनेक लोग लाठी-डंडा लेकर निकल आएंगे. लालू के परिवार में पशुपालन होता रहा है, इसलिए गाय-भैंस को चारा डालने और दुहने के लिए भी तो ज्यादा संतानों की जरूरत थी!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आज लोग कितने समझदार हो गए हैं. अधिक उम्र में शादी करते हैं. 2 संतानों से संतुष्ट रहते हैं. उनकी अच्छी पढ़ाई-लिखाई कराते हैं. जीवन की हर सुख-सुविधा जुटा लेते हैं. बैंक बैलेंस, अपार्टमेंट, गाड़ी सब जल्दी-जल्दी हासिल होने लगता है. बड़े परिवारों में हैंड टु माउथ वाली स्थिति थी. जैसे-तैसे गुजर-बसर होती थी.’’ हमने कहा, ‘‘ बड़े शहरों में ऐसे भी बुजुर्ग दंपति हैं जिनकी संतानें अपने करिअर की खातिर विदेश चली गई हैं. विदेश में रहने वाला बेटा अपनी मां को तब मदद के लिए बुलाता है जब पत्नी की डिलीवरी होने वाली रहती है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बेकार की दलीलें मत दीजिए. तेजस्वी यदव ने नीतीश कुमार को जवाब दिया है कि ऐसी ओछी बात कहकर नीतीश ने महिलाओं और उनकी मां राबड़ी देवी की भावनाओं को दुखाया है.

नीतीश ने अप्रत्यक्ष रूप से नरेंद्र मोदी को भी निशाना बनाया है जिनके 6 भाई-बहन हैं. जदयू नेता बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुख्य मुद्दों पर बात करने की बजाय ऐसी भाषा बोलकर लोगों का ध्यान बंटा रहे हैं. वे मानसिक रूप से थके हुए हैं.’’ हमने कहा, ‘‘आज एक छोटे से बच्चे की अच्छे स्कूल में पढ़ाई पर भी 2 लाख रुपए सालाना खर्च आता है, इसलिए छोटा परिवार अनिवार्य हो गया है. फिर भी याद रखिए कि भगवान कृष्ण वसुदेव-देवकी की आठवीं संतान थे. नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी अपने पिता जानकीनाथ बोस की आठवीं संतान थे. फैमिली प्लानिंग होती तो ये कहां से आते? देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो जानबूझकर औलादों की तादाद बढ़ाते हुए कहता है कि ऊपरवाला खाने के लिए एक मुंह देता है तो कमाने के लिए 2 हाथ भी देता है!’’