यौन उत्पीड़न पर सख्त हुए पोप

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    कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने 14 वर्ष के अध्ययन के बाद वेटिकन के कैनन लॉ के अंतर्गत आपराधिक कानूनों में संशोधन किया. इसके मुताबिक अब पादरियों द्वारा वयस्कों के यौन उत्पीड़न को अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा सका. कानून में बिशप और अन्य धर्मगुरुओं को प्राप्त विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया गया, जिसकी आड़ में वे यौन उत्पीड़न के मामलों की अनदेखी करते थे और उन पर पर्दा डालने की कोशिश करते थे.

    कानून में किए गए बदलावों में इस बात को स्वीकार किया गया है कि अविवाहित पादरी अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग कर वयस्कों का यौन शोषण करते हैं. इसके लिए अब उन्हें दंडित किया जाएगा. इसी तरह चर्च के स्कूल प्रधानाचार्यों तथा इस तरह के पदों से जुड़े अन्य लोगों को वयस्कों और बच्चों के यौन उत्पीड़न के लिए भी दंडित किया जाएगा. आश्चर्य की बात है कि बार-बार धर्म के नाम पर व्यभिचार के ऐसे मामलों की शिकायतें आने पर भी पोप को इस तरह का अध्ययन कर कानून संशोधन में 14 वर्ष का लंबा समय लग गया. वेटिकन ने पादरियों की इस गंदी हरकत को भी आपराधिक करार दिया जिसमें वे नाबालिगों तथा मजबूर वयस्कों को यौन संबंधों के लिए तैयार करते हैं. इनमें गरीब, मंद बुद्धि वालों तथा तृतीय पंथियों का भी समावेश है. विश्व में 1.3 अरब लोग कैथोलिक ईसाई हैं.