गलत नहीं कहा पंजाब के मंत्री ने, केजरीवाल की सरकार म्युनिसिपैलिटी से भी छोटी

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    केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की छोटी सी सरकार चला रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उनके मंत्री अपनी हैसियत को न समझकर पंजाब जैसे बड़े राज्य से व्यर्थ की प्रतिस्पर्धा करने में लगे हैं. दोनों सरकारों के क्षेत्र और कार्यकलाप अलग हैं, इसलिए तुलना करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता. आम आदमी पार्टी के नेताओं का तौर-तरीका ही कुछ ऐसा है कि जितना करेंगे नहीं, उससे ज्यादा गाएंगे-बजाएंगे.

    पंजाब और दिल्ली के एजुकेशन मॉडल को लेकर बहस चल पड़ी है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 250 स्कूलों की लिस्ट जारी कर चुके हैं. उन्होंने पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह को भी लिस्ट जारी करने की चुनौती दी है. परगट सिंह ने कोई सूची तो जारी नहीं की लेकिन करारा जवाब देकर कहा कि दिल्ली और पंजाब के हालात अलग-अलग हैं. वह एक म्युनिसिपैलिटी (नगरपालिका) चला रहे हैं और हम एक ऐसा पूरा राज्य, जिसके बॉर्डर पाकिस्तान से सटे हुए हैं. दिल्ली के मुकाबले पंजाब में 20 गुना स्कूल हैं और कुछ स्कूल तो बॉर्डर एरिया में हैं जहां कई बार स्कूल बंद भी करना पड़ता है. कई स्कूल ऐसे हैं जहां पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है, वहां भी पंजाब ने शिक्षा व्यवस्था की.

    परगट सिंह ने कहा कि दिल्ली की तुलना में पंजाब पढ़ाई से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर तक पहले नंबर पर रहा है, दिल्ली छठे नंबर पर है. स्कूली शिक्षा के नेशनल परफार्मेंस ग्रेड इंडेक्स में पंजाब ने टॉप किया है. पंजाब के शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि केजरीवाल और सिसोदिया ‘आम’ नहीं, बल्कि ‘खास’ आदमी हैं जो बहुरुपिए बनकर लोगों को धोखा दे रहे हैं. दिल्ली में आप सरकार आने के बाद विज्ञापन खर्च 20 करोड़ से बढ़कर 200 करोड़ हो गया. ये नेता सोशल मीडिया के जरिए सिर्फ अपनी वाहवाही करते हैं.’’