किसान बिल के विरोध में पंजाब की पहल

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देश की संघीय (फेडरल) प्रणाली के लिए केंद्र और राज्य का टकराव उस समय चुनौतीपूर्ण हो जाता है जब कोई राज्य केंद्र के कानून को मानने से साफ इनकार कर अपना अलग कानून बनाता है और इस तरह केंद्र के अधिकार क्षेत्र को खुली चुनौती देता है. केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों (Agriculture Bills) को पंजाब (Punjab) में निष्प्रभावी करने के लिए पंजाब विधानसभा में 3 बिल पेश किए गए जो सर्वसम्मति से पारित हो गए और मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेज दिए गए. राज्यपाल को 14 दिनों के भीतर इन बिलों को स्वीकृति देनी होगी या उन्हें राष्ट्रपति के पास अग्रेषित करना होगा. चूंकि बिल सर्वसम्मति से पारित हुए हैं, इसलिए उन्हें पुनर्विचार के लिए विधानसभा में वापस भेजने का प्रश्न ही नहीं उठता. इस तरह पंजाब ने किसान कानूनों पर केंद्र को करारा झटका दिया है. अन्य कांग्रेस शासित राज्य जैसे कि राजस्थान व छत्तीसगढ़ भी पंजाब जैसा ही कदम उठा सकते हैं. इससे केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ जाएगी और समूचे देश में वह अपना कृषि कानून लागू नहीं कर पाएगी.

ज्वलंत है MSP का मुद्दा

केंद्र सरकार ने अपने कृषि कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कोई गारंटी नहीं दी है. इससे किसानों की आशंका बढ़ गई कि उन्हें बड़ी कंपनियां या कार्पोरेट के भरोसे छोड़ दिया गया है. वे इन कंपनियों के गुलाम बनकर रह जाएंगे जो अपनी मर्जी से फसलों का दाम निर्धारित करेंगी अथवा तय करेंगी कि उन्हें कौनसी फसल खरीदनी है या नहीं खरीदनी है. कृषि प्रधान राज्य पंजाब में देश की जरूरत का लगभग 50 प्रतिशत गेहूं पैदा होता है, इसलिए वहां के किसानों की एमएसपी को लेकर चिंता स्वाभाविक है. केंद्र ने पहले तो अध्यादेश जारी किए और फिर संसद में बगैर बहस कराए कृषि बिल पास करा लिए. कृषि बिल पर असहमति के कारण ही अकाली दल ने बीजेपी का दशकों पुराना साथ छोड़ा व एनडीए से अलग हो गया. केंद्र सरकार से अकाली मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया था. अब पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार ने कृषि बिलों पर केंद्र से सीधा टकराव मोल लिया है. ‘किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन विधेयक 2020’ (Promotion and Facilitation) (Special Provisions and Punjab Amendment)  के अनुसार राज्य में गेहूं और धान की कोई भी खरीद एमएसपी के बराबर या अधिक कीमत दिए बगैर वैध नहीं होगी. यदि कोई व्यक्ति किसानों को एमएसपी से कम कीमत पर उत्पाद बेचने पर मजबूर करता है तो उसे 3 वर्ष की जेल और जुर्माना होगा. किसानों को एक और बड़ी राहत दी गई है. अब ढाई एकड़ तक भूमि की कुर्की से किसानों को छूट रहेगी. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि इन विधेयकों से राज्य की कानूनी लड़ाई का आधार मजबूत होगा. सरकार गिरती है तो गिर जाए या मुझे इस्तीफा देना पड़े तो दूंगा, पर पंजाब के किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा और न किसी के सामने झुकूंगा.

राज्यपाल के अलावा राष्ट्रपति की सहमति जरूरी

पंजाब के नए कृषि बिल को राज्यपाल की मंजूरी मिलना ही काफी नहीं है. चूंकि पंजाब सरकार केंद्र द्वारा पारित कानूनों में संशोधन करना चाहती है, इसलिए उसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी लेनी होगी. यदि ऐसा नहीं होता तो पंजाब का विरोध सिर्फ प्रतीकात्मक रह जाएगा और उसे केंद्र का कानून मानना ही होगा. पंजाब में अमरिंदर सिंह सरकार पर शिरोमणि अकाली दल का काफी दबाव था कि वह केंद्र के कानून के खिलाफ बिल पारित करे. विधानसभा में बीजेपी के 2 विधायक अनुपस्थित रहे जबकि कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी व लोक इंसाफ पार्टी ने राज्य के बिलों का समर्थन किया.

राजस्थान विशेष सत्र बुलाएगा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य के किसानों की हितरक्षा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र शीघ्र बुलाया जाएगा, जिसमें पंजाब की तर्ज पर राज्य सरकार कानून बनाएगी. छत्तीसगढ़ सरकार भी विशेष सत्र बुलाना चाहती थी लेकिन इसकी अनुमति देने से राज्यपाल अनुसुइया उइके ने यह कहकर मना कर दिया कि मानसून सत्र सिर्फ 58 दिन पहले समाप्त हुआ है, इसलिए इतनी जल्दी नया सत्र नहीं बुलाया जा सकता.