TN के चुनावी अखाड़े में अब रजनीकांत

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दक्षिण भारत में फिल्म और राजनीति का बेहद नजदीकी रिश्ता रहा है. जहां आंध्रप्रदेश में एनटी रामाराव (N. T. Rama Rao) अपनी फिल्मी लोकप्रियता की बदौलत सत्ता में आए थे, वैसे ही तमिलनाडु में एमजी रामचंद्रन और फिर जयललिता को लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. वहां की भावुक जनता इन फिल्मी चेहरों को भगवान की तरह पूजती है. एमजीआर की राजनीतिक विरासत जयललिता ने बखूबी संभाली थी. जयललिता (J. Jayalalithaa) एआईएडीएमके की नेता थीं तो उनके प्रतिद्वंद्वी एम करुणानिधि डीएमके नेता होने के साथ ही फिल्मों के पटकथा लेखक थे. तमिलनाडु की राजनीति में अभिनेता कमल हासन ने भी तकदीर आजमाई. अब वहां के सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनीति में अपने पदार्पण की अधिकृत घोषणा कर दी है. उन्होंने ट्वीट करके लिखा- ‘अब सब बदलने का वक्त है. अभी नहीं तो कभी नहीं.

आने वाले विधानसभा चुनाव में हम जरूर जीतेंगे और ईमानदार, पारदर्शी, करप्शन मुक्त व आध्यात्मिक राजनीति देंगे, वह भी किसी धर्म और जाति से भेदभाव किए बिना!’ रजनीकांत जनवरी में अपनी पार्टी लांच करेंगे और 31 दिसंबर को इस बारे में घोषणा की जाएगी. रजनीकांत का असली नाम शिवाजीराव गायकवाड़ है. वे बस कंडक्टर से शुरुआत कर अत्यंत लोकप्रिय व स्टाइलिश सुपरस्टार बने. उन्होंने अनेक हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया. रजनीकांत ने 1996 में सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके के खिलाफ चुनाव अभियान चलाया था. तब जयललिता की पार्टी हार गई थी और डीएमके नेता करुणानिधि मुख्यमंत्री बने थे, तभी से रजनीकांत के फैन उनके सक्रिय राजनीति में आने का इंतजार कर रहे थे.

31 दिसंबर 2017 को रजनीकांत ने घोषणा की थी कि वे जल्द ही अपनी पार्टी का एलान करेंगे और 2021 (Assembly elections in 2021) के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. अब तमिलनाडु में जयललिता या करुणानिधि जैसे दिग्गजों के दिवंगत हो जाने से मैदान खाली है. मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के लिए रजनीकांत की चुनौती किसी तूफान के समान होगी. यद्यपि रजनीकांत भी 69 वर्ष के हो चुके हैं लेकिन उनका फिल्मी जादू बरकरार है. अपनी अपार लोकप्रियता की बदौलत वे राजनीति में भी चमक सकते हैं. हिंदी फिल्मों के सितारे राजनीति में उतने बड़े मुकाम तक नहीं पहुंच पाते लेकिन तमिलनाडु में जनता अपनी फिल्मी हस्तियों को हमेशा से सिर आंखों पर लेती आई है.

एक और द्रविड़ पार्टी

2016 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष के वोट डीएमके तथा लेफ्ट और दलित पार्टियों के बीच बंट गए थे, इसलिए एआईएडीएमके को पुन: जीतने का मौका मिला था. रजनीकांत के राजनीति में प्रवेश के बाद राज्य में एक और द्रविड़ पार्टी खड़ी हो जाएगी. इसके पहले वहां टीटीवी दिनाकरन की एएमएमके और अभिनेता कमल हासन की एमएनएम जैसी पार्टियां मौजूद हैं. इतने पर भी लोग मानते हैं कि रजनीकांत विपक्षी वोटों का विभाजन करने की बजाय एआईएडीएमके और बीजेपी से समर्थन हासिल करेंगे. रजनीकांत की बीजेपी और आरएसएस से मित्रता के कारण डीएमके व वामपंथी पार्टियां उनसे नाराज हैं.

धर्म आधारित राजनीति व बीजेपी

रजनीकांत ने कहा कि उनकी प्रस्तावित पार्टी आध्यात्मिक राजनीति करेगी जो ईमानदार व भ्रष्टाचार मुक्त होगी. इससे लोगों में यही संदेश गया है कि रजनीकांत दक्षिणपंथी नेता हैं. जबकि द्रविड़ राजनीति हमेशा धर्म और जातिवाद के खिलाफ रही है. डीएमके नेता एम करुणानिधि नास्तिक थे. करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन के अलावा अभिनेता कमल हासन भी वामपंथी विचार रखते हैं और धर्म को नहीं मानते. द्रविड़ राजनीति के प्रणेता रामास्वामी पेरियार भी धर्म और जाति को नहीं मानते थे. रजनीकांत के निकटवर्तियों में एस गुरुमूर्ति हैं जो संघ परिवार से कई दशकों से जुड़े हुए हैं. रजनीकांत के सहयोगी अर्जुन मूर्ति बीजेपी के बुद्धिवादी सेल के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. रजनीकांत के बारे में कहा जाता है कि जब वे 18 वर्ष के थे तब बंगलुरू के रामकृष्ण मठ में जाया करते थे. उनकी फिल्म बाबा (2002) उनके गुरु महाअवतार बाबाजी पर आधारित थी. रजनीकांत का 2016 में किडनी ट्रांसप्लांट आपरेशन भी हो चुका है.